फाउंड्री शॉप में प्रयुक्त पैटर्न मेकिंग सामग्री | Pattern Making Material Used in Foundry Shop in Hindi

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फाउंड्री शॉप में प्रयुक्त पैटर्न मेकिंग सामग्री | Pattern Making Material Used in Foundry Shop in Hindi

ढलाई शाला में पैटर्न बनाने में प्रयुक्त होने वाली सामग्री निम्लिखित है:-

1. लकड़ी( Wood):- पैटर्न बनाने में लकड़ी का प्रयोग अधिक किया जाता है क्योंकि लकड़ी में नमी सोखकर फूलने तथा सुखकर सिकुड़ने तथा ऐठने की प्रवृत्ति न्यूनतम होती है। पैटर्न निर्माण हेतु सामान्यतया सागौन, महोगनी, चीड़, शीशम, साल तथा देवदार आदि की लकड़ी प्रयोग की जाती है। मानक कार्यों के लिए कभी-कभी प्लाईवुड का भी प्रयोग पैटर्न बनाने में किया जाता है। प्लाईवुड के पैटर्न अपेक्षाकृत हल्के होते हैं तथा नमी से बचने के लिए इस पर पेंट तथा वार्निश का प्रयोग किया जाता है।

फाउंड्री शॉप में प्रयुक्त पैटर्न मेकिंग सामग्री, Pattern Making Material Used in Foundry Shop in Hindi
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2. धातुएं (Metals):- अधिक संख्या में ढलाई तथा टिकाऊपन के लिए धातु के पैटर्न प्रयोग किए जाते हैं। साधारणतया धातु का पेट्रोल लकड़ी के पैटर्न से बनाया जाता है, जिसे मास्टर पैटर्न कहा जाता है। मास्टर पैटर्न पर दोहरी संकुचन छूट दी जाती है। पैटर्न निर्माण हेतु साधारणतया निम्न धातु प्रयोग किया जाता है-

i) एल्युमिनियम तथा इसके मिश्र धातु:-  इसका प्रयोग सबसे अधिक किया जाता है क्योंकि एल्युमीनियम मुलायम हल्की, मजबूत, कम लागत वाली, निम्न गलनांक वाली तथा संक्षारण (Corrosion Resistant) धातु है।
ii) पीतल तथा कांसा (Brass and Bronze):- इनका प्रयोग सामान्यतया छोटे प्रकार के पैटर्न बनाने में किया जाता है। यह एल्युमिनियम की अपेक्षा कठोर, भारी, संक्षारणरोधी तथा घिसन-रोधी हैं।
iii) ढलवाँ लोहा (Cast Iron):- इसका प्रयोग विशेष प्रकार के पैटर्न बनाने में ही प्रयोग किया जाता है। यह सस्ता है तथा किसी आकृति में ढाला  जा सकता है।
iv) श्वेत धातु (White Metal):- डाई ढलाई के लिए अधिकतर श्वेत धातु का प्रयोग किया जाता है। इसे डाई ढलाई मिश्र धातु भी कहते हैं। यह एंटीमनी, शीशा तथा तांबे की एक मिश्र धातु है। इसका संकुचन बहुत कम होता है।

3. प्लास्टर (Plaster):- इसके अंतर्गत पेरिस प्लास्टर या जिप्सम सीमेंट का प्रयोग पैटर्न बनाने में किया जाता है। इसका अधिकतम उपयोग छोटे तथा जटिल आकृति के पैटर्न तथा क्रोड़ बॉक्स बनाने में होता है। कभी-कभी पुराने पैटर्न के मरम्मत के लिए भी प्लास्टर का प्रयोग किया जाता है। यह पैटर्न भार में हल्के होते हैं और लागत भी कम आती है। प्लास्टर पैटर्न बनाने के लिए लकड़ी के मास्टर पैटर्न द्वारा बनाए गए सांचे में प्लास्टर का मिश्रण भरा जाता है और जमाने पर प्लास्टर पैटर्न प्राप्त होता है। प्लास्टर की यह विशेषता है कि जमने पर फैलता है जबकि अन्य धातुएँ सिकुड़ती है।

4. प्लास्टिक (Plastic):-  यह प्लास्टिक थर्मोसेटिंग रेजिन होते हैं। फिनॉलिक रेजिन प्लास्टिक बहुत मजबूत तथा घिसाई प्रतिरोधी होता है। फिनॉलिक प्लास्टिक द्रव रूप में उपलब्ध होता है। उपयोग करने से पहले इसमें आवश्यक उत्प्रेरक तथा कठोर करने वाले पदार्थ मिलाए जाते हैं। प्लास्टिक पैटर्न बनाने के लिए पहले लकड़ी का मास्टर पैटर्न बनाया जाता है। ये भार में हल्के होते हैं तथा इनकी सतह भी चिकनी होती है।

5. मोम (Wax):- मोम के पैटर्न का प्रयोग इन्वेस्टमेंट ढलाई प्रक्रम में किया जाता है। मोम पैटर्न को धातु सांचे या धातु डाई में बनाया जाता है। याद डाई दो अर्ध से बनी होती है। इस डाई में गर्म मोम भरा जाता है जबकि डाई को पानी प्रवाह द्वारा ठंडा भी रखा जाता है। जैसे ही मोम में ठंडा होने लगता है अर्ध को अलग करके मोम पैटर्न को निकाल लिया जाता है।

उम्मीद है यह आर्टिकल आपको पसंद आया होगा। अन्य किसी प्रकार की जानकारी आप कमेंट में पूछ सकते है।

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