उत्तर प्रदेश के ऊर्जा संसाधन | Energy Resources of Uttar Pradesh
नमस्कार दोस्तों, Gyani Guru ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा संसाधन से संबंधित जानकारी (Uttar Pradesh Energy Resources) दी गई है। जैसा कि हम जानते है, उत्तर प्रदेश, भारत का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ज़्यादा कम्पटीशन रहता है। यह लेख उन आकांक्षीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस (UPPSC), UPSSSC, विद्युत विभाग, पुलिस, टीचर, सिंचाई विभाग, लेखपाल, BDO इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। तो आइए जानते है उत्तर प्रदेश से संबंधित जानकारी-
उत्तर प्रदेश के ऊर्जा संसाधन | Energy Resources of Uttar Pradesh |
➤ अर्थव्यवस्था के विकास हेतु ऊर्जा एक आवश्यक संसाधन है। उत्तर प्रदेश में परम्परागत एवं गैर-परम्परागत साधनों से ऊर्जा उत्पादित की जाती है। प्रदेश में ऊर्जा के तीव्र विकास हेतु अप्रैल 1959 में उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद का गठन किया गया।
➤ विद्युत सुधारों के क्रम में पहला कदम 1998 में उठाया गया, जब केंद्र के विद्युत नियामक आयोग, एक्ट, 1998 के तहत शुल्कों के स्वतंत्रता पूर्वक निर्धारण के लिए उत्तर प्रदेश विद्युत नियामक आयोग का गठन किया गया। इस के बाद राज्य के विद्युत संगठन में आमूल परिवर्तन के लिए सन 2000 में उत्तर प्रदेश विद्युत सुधार अधिनियम 1999 लागू किया गया। इस कानून के अनुसार उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत परिषद की समस्त सम्पतियों, हितों, अधिकारों और दायित्वों, काररवाईयों तथा कार्मिकों को तीन निगमों में स्थानांतरिक कर दिया गया जो इस प्रकार हैं-
1. तापीय विद्युत उत्पादन हेतु, उत्तर प्रदेश राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि.
2. जल विद्युत उत्पादन हेतु, उत्तर प्रदेश जल विद्युत उत्पादन निगम लि.
3. परिषण, वितरण एवं विद्युत प्रदाय कार्यों हेतु, उत्तर प्रदेश पॉवर कॉर्पोरेशन लि.
➤ विद्युत वितरण के लिए, पूर्व गठित कानपुर, विद्युत वितरण कम्पनी, सहित 5 वितरण कम्पनियों (नियमों) का गठन किया गया, जैसे- पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम लि. प्रयागराज वाराणसी, गोरखपुर एवं आजमगढ़ क्षेत्र हेतु, पश्चिमांचल वि.नि.लि. मेरठ, मुरादाबाद, सहारनपुर एवं नोएडा हेतु मध्यांचल वि.वि.नि लि. आदि।
यूपी विद्युत सुधार स्कीम 2010 के तहत यूपी पावर कारपोरेशन व यूपी पावर ट्रांसमिशन कारपोरेशन लि. को भी अलग-अलग कर दिया गया।
➤ शहरी क्षेत्रों में 2009 में वितरण व कलेक्शन हेतु फ्रेंचाइजी व्यवस्था शुरू की गयी। प्रायोगिक तौर पर अप्रैल 2010 में सर्वप्रथम आगरा के विद्युत वितरण व कलेक्शन की जिम्मेदारी 20 वर्ष के लिए 'इनपुट बेस्ड फ्रेंचाइजी' के तौर पर निजी क्षेत्र की मुंबई की डोरेंट पॉवर कंपनी को दी गई है। उक्त कंपनी केस्को के विद्युत उपक्रेन्द्रों से सीधे बिजली खरीद कर उपभोक्ताओं तक पहुंचा रही है।
➤ ग्रामीण राजस्व वसूली हेतु फ्रेंचाइजी व्यवस्था आगरा, मेरठ, लखनऊ व वाराणसी में 2007 में लागू किया गया है।
➤ राज्य में प्रत्येक वर्ष विद्युत की मांग लगभग 12 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है। 12वीं योजना के तहत प्रदेश में कुल 16274 मेगावाट अतिरिक्त विद्युत उत्पादन का लक्ष्य रखा गया है। इसमें 2410 मेगावाट राज्य सरकार द्वारा 916 मेगावाट संयुक्त क्षेत्र द्वारा 2080 मेगावाट केंद्र द्वारा व 10868 मेगावाट निजी क्षेत्र द्वारा सृजित किया जाना है।
उत्तर प्रदेश में विद्युत उत्पादन
वर्तमान में प्रदेश सरकार द्वारा उत्पादित विद्युत के दो मुख्य स्रोत हैं ताप विद्युत और जल विद्युत। इनका विवरण निम्नवत है-
उत्तर प्रदेश में ताप विद्युत उत्पादन
1. राज्य विद्युत उत्पादन निगम लि.- यह निगम 14 जनवरी, 2000 से अस्तित्व में आया। राज्य सरकार के नियंत्रणाधीन ताप विद्युत गृहों के निर्माण, रखरखाव, सुधार आदि के लिए उत्तरदायी है। इस निगम के अंतर्गत हरदुआगंज, पारीक्षा, पनकी, अनपरा, ओबरा आदि स्थानों पर कुल 28 इकाइयां कार्यरत हैं। जिनकी कुल अधिष्ठापित क्षमता 5933 मेगावाट है।
2. ओबरा ताप विद्युत केंद्र - इस ताप विद्युत गृह की स्थापना पूर्व सोवियत संघ की सहायता से की गई थी। इस संयंत्र की कुल स्थापित क्षमता 1288 मेगावाट है। सिंगरौली कोयला खान (सोनभद्र) इस संयंत्र के निकट हैं।
3. ओबरा 'सी' ताप परि.- 2x660 मेगावाट की यह परियोजना राज्य सरकार द्वारा बनाई जा रही है।
4. हरदुआगंज ताप विद्युत गृह- राज्य की सबसे पुरानी इस विद्युत गृह की स्थापना 1942 में अलीगढ़ के निकट की गई थी। इनमें 220 मेगावाट क्षमता की यूनिटें स्थापित की गई हैं। इस ताप गृह का पुनरोद्धार 1968 में रूस सहयोग से किया गया था। 2X250 मेगावाट की हरदुआगंज विस्तार परियोजना से उत्पादन शुरू हो चुका है। 660 मेगावाट की हरदुआगंज तापीय विस्तार-2 परियोजना में 2018-19 तक उत्पादन शुरू हो सकेगा।
5. अनपरा 'ए' ताप विद्युत केंद्र - सोनभद्र स्थित इस ताप विद्युत केंद्र की स्थापित क्षमता डेढ़ हजार मेगावाट से अधिक है। यहीं पर अनपरा ताप विद्युत केंद्र भी है।
6. अनपरा 'डी' ताप विद्युत परियोजना- राज्य सरकार द्वारा 1000 मेगावाट की अनपरा 'डी' परियोजना अनपरा 'ए' व 'बी' परियोजना के कैम्पस में ही स्थापित की गई है। इस परियोजना के 500 मेगावाट के प्रथम यूनिट को 31 मार्च 2015 को चालू कर दिया गया है।
7. पनकी विस्तार ताप परियोजना - कानपुर जिले के पनकी में राज्य विद्युत उत्पादन निगम की 210 मेगावाट की 10 वर्ष पूर्व पुरानी ताप परियोजना की जनवरी 2018 में पूरी तरह बंद कर दिया गया है। अब पनकी विस्तार परियोजना के तहत 660 मेगावाट क्षमता की नई इकाइयां स्थापित की जा रही है।
राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम के केंद्र- प्रदेश में राष्ट्रीय ताप विद्युत निगम की 7 उत्पादनरत व 3 निर्माणाधीन इकाइयां है। उत्पादनरत में 3 (औरैया, आंवला और दादरी) संयत्र गैस आधारित और शेष कोयले पर आधारित है।
- ऊंचाहार ताप विद्युत परियोजना (रायबरेली)
- टांडा ताप विद्युत केंद्र (अम्बेडकर नगर)
- शक्तिनगर सुपर ताप विस्तार परियोजना (सोनभद्र)
- औरैया ताप विद्युत केंद्र (औरैया)
- रिहन्द ताप विद्युत केंद्र (सोनभद्र)
- मेजा संयुक्त ताप विद्युत गृह, प्रयागराज (निर्माणाधीन)
- दादरी ताप विद्युत परियोजना (गौतमबुद्ध नगर)
- आंवला ताप लि. परियोजना (बरेली)
- विल्हौर थर्मल पावर प्लांट (निर्माणाधीन)
- टांडा विस्तार ताप विद्युत गृह (निर्माणाधीन)
उत्तर प्रदेश में जल विद्युत उत्पादन
जल विद्युत निगम लिमिटेड- प्रदेश के सभी जल विद्युत गृहों के परिचालन, रखरखाव तथा नयी परियोजनाओं के संबंधी सभी दायित्व जल विद्युत उत्पादन निगम का है। वर्तमान में निगम के अंतर्गत प्रदेश में कुल 7 जल विद्युत परियोजनाएं है जिसकी कुल अधिष्ठापित क्षमता 524.9 मेगावाट है। निगम की परियोजनाएं इस प्रकार हैं-
1. रिहन्द बांध जल विद्युत परियोजना - इस परियोजना में प्रदेश के सोनभद्र जिले के पिपरी नामक स्थान पर रिहन्द नदी पर एक बांध व गोविंद बल्लभ पंत सागर नामक कृत्रिम झील बनाया गया है जिस में 50-50 मेगावाट विद्युत क्षमता वाली 6 इकाइयां लगाई गई हैं। इस केंद्र से पूर्वी उत्तर प्रदेश के लगभग 20 जिलों को विद्युत उपलब्ध करायी जाती है।
2. ऊपरी गंगा नहर पर स्थित गंगा विद्युत क्रम- हरिद्वार के पास से निकलने वाली इस नहर पर पथरी व मुहम्मदपुर (सहारनपुर) निरमाजनी व सलावा (मुजफ्फरनगर), भोला (मेरठ), पलरा (बुलंदशहर) तथा सुमेरा (अलीगढ़) आदि छोटे-छोटे कई जल विद्युत केंद्र हैं जिन्हें संपूर्ण रूप से गंगा विद्युत क्रम कहा जाता है। इनकी कुल स्थापित क्षमता 15.50 मेगावाट है।
3. पूर्वी यमुना नहर जल विद्युत परियोजना - इस परियोजना के अंतर्गत पूर्वी यमुना नहर पर छोटे-छोटे कई जल विद्युत गृह स्थापित किए गए हैं जिनकी कुल स्थापित क्षमता 6 मेगावाट है।
4. राजघाट जल विद्युत परियोजना - निगम द्वारा उत्तर प्रदेश व मध्यप्रदेश की इस संयुक्त परियोजना का निर्माण बेतवा नदी पर ललितपुर जिले में किया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में लघु जल विद्युत परियोजना
➤ 25 मेगावाट तक की जल विद्युत परियोजनाओं को लघु जल विद्युत परियोजना की श्रेणी में रखा जाता है। केंद्र सरकार की एमएनआई की रिपोर्ट के अनुससार प्रदेश की नहरों में 160 मेगावाट क्षमता का पोर्टशियल उपलब्ध है।
➤ जिनमें से अभी तक मात्र 25 मेगावाट क्षमता की ही लघु परियोजनाएं स्थापित की गई हैं। लघु जल विद्युत परियोजनाओं के अधिक से अधिक विस्तार हेतु निजी विकासकर्ताओं का सहयोग लेने के लिए राज्य सरकार द्वारा 2009 में लघु जल विद्युत नीति की घोषणा की गई।
➤ इस के अनुसार 15 मेगावाट तक की जल विद्युत परियोजनाओं का नोडल एजेंसी यूपीनेडा को बनाया गया है।
➤ उत्तर प्रदेश नेडा राज्य में 10 से अधिक परियोजनाओं को चिन्हित कर लगाने का प्रयास कर रही है।
संयुक्त क्षेत्र में स्थापित परियोजनाएं
टिहरी जल विद्युत परियोजना - भागीरथी (गंगा) एवं भिलंगाना नदी के संगम पर टिहरी (उत्तराखंड) में निर्माणाधीन उत्तराखंड- उत्तर प्रदेश व केंद्र की इस संयुक्त परियोजनाओं का प्रथम चरण (1000 मेगावाट) 2006 में चालू हो चुका है और उत्तर प्रदेश को उस के हिस्से का 406 मेगावाट बिजली मिल रहा है।
मेजा ताप वि.परि. - 660.2 मेगावाट की यह परियोजना प्रयागराज के मेजा तहसील में कोहड़ार नामक स्थान पर भारत सरकार के एनटीपीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के संयुक्त परियोजना के रूप में बनाई जा रही है। 660.2 मेगावाट के दूसरे चरण की स्थापना के लिए मंजूरी मिल चुकी है।
पाटमपुर (कानपुर न.) में 1980 मेगावाट की राज्य सरकार व निवेली लिग्नाइट की संयुक्त परियोजना 2012 से निर्माणाधीन है।
निजी क्षेत्र में स्थापित परियोजनाएं
1. ललितपुर ताप विद्युत गृह - बजाज ग्रुप द्वारा ललितपुर में स्थापित किए गए 3x660 मेगावाट के ताप विद्युत गृह के प्रथम यूनिट (660 मेगावाट) की सितम्बर 2015 में चालू किया गया है।
2. रोजा ताप विद्युत परियोजना - 4x300 मेगावाट की कोयला आधारित इस परियोजना की स्थापना शाहजहांपुर में की गई है। यह परियोजना निजी क्षेत्र के आदित्य बिड़ला ग्रुप की थी लेकिन 2006 में इसे रिलायंस ग्रुप ने अधिग्रहीत कर लिया था। इस परियोजना की प्रथम, द्वितीय, तृतीय, व चतुर्थ यूनिटें क्रमशः दिसंबर 2009, मई 2010, दिस. 2011 व 2012 में चालू की जा चुकी हैं।
3. अनपरा 'सी' विद्युत परियोजना - निजी/क्षेत्र की कंपनी लेंको कोंडापल्ली लि. द्वारा 2x600 मेगावाट की यह ताप परियोजना अनपरा (सोनभद्र) में स्थापित की गई है। जनवरी, 2012 तक इसकी दोनों इकाई चालू कर दी गई है।
4. विष्णु प्रयोग जल विद्युत परियोजना - 400 मेगावाट के इस परियोजना की स्थापना चमोली (उत्तराखंड) जनपद के विष्णु प्रयोग नामक स्थान, अलकनंदा नदी पर की गई है। उत्तर प्रदेश सरकार के क्रय अनुबंध पर यह परियोजना निजी क्षेत्र की मे. जय प्रकाश पावर वेंचर्स लि. नामक कंपनी द्वारा निर्मित की गई है। इससे उत्पादित कुल बिजली का 12 प्रतिशत उत्तराखंड को रायल्टी के रूप में देना होता है। शेष का उत्तर प्रदेश सरकार क्रय करती है। इस संयंत्र की इकाइयां 2006 में ही उत्पादन शुरू कर ली थी।
5. बारा (संगम) ताप विद्युत गृह - प्रयागराज के बारा तहसील में जेपी समूह द्वारा स्थापित की जा रही 3x660 मेगावाट की ताप विद्युत परियोजना की पहली इकाई (660 मेगावाट) 27 फरवरी, 2016 की चाल कर दी गई है।
6. श्रीनगर जल विद्युत परियोजना - मेसर्स अलकन्दा हाइड्रो पावर कंपनी नामक निजी कंपनी द्वारा उत्तराखंड के श्रीनगर (पौड़ी गढ़वाल) नामक स्थान पर स्थापित की जाने वाली इस परियोजना की क्षमता 330 मेगावाट है। 3 मार्च 2011 को इसका लोकर्पण किया गया। इस के कुल उत्पादन का 12 प्रतिशत उत्तराखंड को निःशुल्क दिया जाता है। शेष का अनुबंध के अनुसार उत्तर प्रदेश सरकार क्रय करती है।
उत्तर प्रदेश में परमाणु ऊर्जा संसाधन
➤ प्रदेश के बुलंदशहर जिले के नगौरा नामक स्थान पर स्वदेशी डिजाइन, उन्नत दबावयुक्त तथा भारी जल आधारित 220-220 मेगावाट क्षमता वाले दो परमाणु रियेक्टर कार्यरत हैं। इन दोनों में प्रथम को जन, 1991 में और द्वितीय को जुलाई. 1992 में चालू किया गया।
उत्तर प्रदेश में गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत
➤ देश में 1981 गैर-परम्परागत अथवा पुनरुपयोगी ऊर्जा स्रोतों के विकास के लिए ऊर्जा के अतिरिक्त साधनों का आयोग, 1982 में गैर-परम्परागत ऊर्जा स्रोत विभाग तथा 1987 में भारतीय नव्यकरणीय ऊर्जा विकास एजेंसी की स्थापना की गई।
➤ 1983 में उत्तर प्रदेश के ऊर्जा स्रोत विभाग के अधीन एक स्वायतशासी संस्था के रूप में वैकल्पिक ऊर्जा विकास संस्थान की स्थापना की गई। जिसके अधीन जनपदीय स्तर पर 55 जनपदों में परियोजना कियान्वयन हेतु नेडा के कार्यालय खोले गए हैं। इस सस्थान द्वारा वैकल्पिक ऊर्जा के विभिन्न कार्यक्रमों तथा सोलर कुकर, सोलर वाटर हीटर, सोलर प्रकाश संयंत्र, सोलर पावर पेंसिंग, सोलर फोटो वोल्टाइक पंप, पवन मानीटरिंग तथा जल विद्युत जैसे अपाराम्परिक ऊर्जा स्रोतों के दोहन हेतु उपयुक्त तकनीकी के विकास एवं प्रसार के लिए विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित किया जा रहा है, जिससे नगरीय एवं ग्रामीण दोनों ही क्षेत्रों में ऊर्जा आवश्यकताओं की पूर्ति की जा सके।
➤ केंद्र के सहयोग से यूपीनेडा द्वारा घासी (मऊ), चिनहट (लखनऊ) व कन्नौज में नवीन व नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों के शोध, विकास व प्रशिक्षण हेतु केंद्र स्थापित किए गए हैं।
➤ उत्तर प्रदेश में सरायसादी गांव (मऊ), कल्याणपुर गांव (अलीगढ़) तथा हरैया (बस्ती) में 100-100 किलोवाट क्षमता के ग्रिड संयोजित सोलर फोटोवाल्टाइक पॉवर प्लांटों की स्थापना 1992 में अनुसंधान परियोजना के रूप में की जाती है।
➤ केंद्र द्वारा 2010-11 में शुरू किए गए सोलर मिशन के तहत की गई पहल पर राज्य में निजी क्षेत्र द्वारा 2016-17 तक बांदा, झांसी व बदायूं में कुल 100 मेगावाट की ग्रिड कनेक्टेड परियोजनाएं स्थापित की गई। इसके अलावा एनटीपीसी द्वारा ऊंचाहार में 10, दादरी में 5 मेगावाट रेल कोच फैक्ट्री रायबरेली में 2 मेगावाट व नोएडा में 1 मेगावाट की परियोजनाएं लगाई गई हैं।
➤ ग्रिड संयोजित परियोजनाओं की स्थापना के लिए प्रदेश सरकार द्वारा सौर ऊर्जा नीति 2013 घोषित की गई थी। इस नीति के अंतर्गत निजी विकासकर्ताओं द्वारा मिर्जापुर, महोबा, ललितपुर, जालौन, कानपुर देहात एवं हमीरपुर में कुल 260 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी हैं और शेष प्रगति पर है। इन परियोजनाओं हेतु बड़े-बड़े सोलर पार्कों की स्थापना की गई है। इस नीति के तहत निजी आवासों, संस्थाओं, औद्योगिक प्रतिष्ठानों एवं ग्रिड संयोजित 15 से.वा. की रूफ टॉप परियोजनाएं भी स्थापित की जा चुकी हैं।
➤ 5 दिसंबर, 2017 को राज्य सरकार ने 5 वर्ष के लिए नई सौर ऊर्जा नीति 2017 को मंजूरी दी है। इस नीति के तहत अगले 5 वर्षों में 10700 मेगावाट ग्रिड संयोजित सौर ऊर्जा भूमि की उपलब्धता के कारण अधिकांश सोलर पार्क ललितपुर, जालौन, महोबा, झांसी, सोनभद्र, मिर्जापुर आदि जिलों में बनाए जाएंगे।
➤ लोगों को इस नीति का लाभ दिलाने हेतु इसमें 10 हजार सूर्य मित्र नियुक्त करने की व्यवस्था है।
सौर ऊर्जा से सम्बंधित प्रमुख उपकरण -
1. सोलर स्ट्रीट लाईट - उन गांवों में जहां अभी विद्युत नहीं पहुंच पाई है, वहां 200 परिवारों के ग्रामों के लिए अधिकतम 10 सोलर स्ट्रीट लाईटें दी जाती है। एक स्ट्रीट लाईट के लिए 74 वाट का। सोलर पैनल, 12 गुणा 17 की बैटरी 11 वाट का सीएफएल ट्यूब तथा एक पोल दिया जाता है जो कि रात में 5-6 घंटे प्रकाश देता है।
2. सोलर घरेलू लाईट- इस संयंत्र में रात में 5 से 6 घंटे के लिए प्रकाश मिल जाता है। केंद्र एवं राज्य सरकार के अनुदान पर संयंत्रों का विवरण जनपदों में स्थित नेडा कार्यालयों से किया जा रहा है। दिये जाने वाले संयंत्र में 37 वाट का एक सोलर पैनल, 9 वाट के 2 सीएफएल तथा 12 वोल्ट की एक बैटरी है।
3. सोलर कुकर - यह एक ऐसा सिस्टम है जिसमें सौर्य ऊर्जा तापीय ऊर्जा में बदलकर भोजन को पका देता है। इसमें बाक्स टाइप और डिश टाइप के कुकर होते हैं। इन कुकरों के खरीद पर केंद्र व राज्य सरकार अनुदान देती है।
4. सोलर लालटेन - इस सिस्टम में 10 वाट का एक सोलर पैनल, 5 या 7 वाट का सीएफएल 12 वोल्ट गुणा 7 एम्पीयर की एक बेटरी कुछ सरकारी अनुदान पर दी जाती है।
5. आदित्य सोलर शॉप योजना- वैकल्पिक ऊर्जा के संयंत्रों के क्रेताओं को सुगमता से सोलर एवं अन्य संयंत्रों की उपलबधाता सुनिचित करने के उद्देश्य से प्रदेश के विभिन्न नगरों में आदित्य सोलर शॉप की स्थापना की जा रही है। अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय, भारत सरकार द्वारा वित घोषित इस योजना के तहत संयंत्रों की सर्विसिंग एवं मरम्मत हेतु आवश्यक सुविधाएं भी उपलब्ध कराई जाती है। भारत सरकार के सहयोग से प्रदेश में 51 अक्षय ऊर्जा शाप स्थापित किये गए हैं।
6. सोलर वाटर हीटर - इस यंत्र में भी सौर्य ऊर्जा का रूपांतरण तापीय ऊर्जा में होता है और पानी गर्म हो जाता है।
7. सोलर फोटोवाल्टाइक पंप (पेयजल)- ऐसे ग्रामों जहां स्वच्छ पेयजल सम्पूर्ति का अभाव है वहां एस, एससी और बीसी लाभार्थियों को ध्यान में रखते हुए ग्राम पंचायतों द्वारा अनुमोदित या आवांटित स्थलों पर सोलर पंप लगाया जा रहा है। इस पर होने वाला व्यय ग्राम पंचायत द्वारा वहन किया जाता है। इस योजना में 1200 वाट का सोलर पैनल और सबमार्सिवल पंप 100 फिट की गहराई में लगाया जाता है।
8. सोलर फोटोवाल्टाइक पंप (सिंचाई हेतु) - ग्रामीण क्षेत्रों में सिंचाई के लिए सोलर फोटोवोल्टाइक पंप से प्रतिदिन 1.20 लाख से 1.40 लाख लीटर जल सिंचाई हेतु प्राप्त किया जा सकता है। सोलर पंप का उपयोग ऐसे क्षेत्र में सुगमता से किया जा सकता है जहां जल स्तर 6-7 मीटर है।
सोलर सिटी कार्यक्रम - केंद्र सरकार आगरा, प्रयागराज व मुरादाबाद को सोलर सिटी के रूप में विकसित करने हेतु सहायता दे रही है।
डा. एपीजे अब्दुल कलाम नगरीय सौर फंज योजना- 2016-17 से संचालित इस योजना के तहत बुलंदखंड व नक्सल प्रभावित क्षेत्रों के नगर निकायों में सौर ऊर्जा से प्रकाश व पेयजल उपलब्ध कराया जा रहा है।
उत्तर प्रदेश में बायोगैस तथा बायोमास ऊर्जा
1. कम्बशचन बेस्ड बायोमास पावर प्रोजेक्ट- के अलावा अन्य बायोमांस का उपयोग कर कम्बस्शचन तकनीक से विद्युत उत्पादन करने वाले निजी क्षेत्र में ग्रीड संयोजित तीन विद्युत प्लांट गाजीपुर, मथुरा व कानपुर में स्थापित किए गए हैं। इस प्लांटों की कुल क्षमता 38 मेगावाट है। ये प्लांट अपने उपयोग से अधिक विद्युत को राज्य सरकार को बेच देते हैं।
2. बायोगैस संयंत्र - गोबर तथा जैविक/अनशिष्टों पर आधारित संस्थागत बायोगैस संयंत्र की स्थापना सरकारी अ(सरकारी, चैरिटेबिल, प्राइवेट डेयरी फार्मों आदि संस्थाओं में सरकार द्वारा कई तरह के सहयोग दे कर करायी जाती है। इससे प्राप्त गैस का उपयोग । खाना पकाने, प्रकाश व्यवस्था तथा इन्जन चलाने में किया जाता है।
3. इण्डस्ट्रीयल वेस्ट आधारित प्लाट - विभिन्न औद्योगिक इकाइयों से निकलने वाले कचरों में प्रदेश में 150 मेगावाट के प्लांट बनाये जा सकते हैं। प्रदेश में डिस्टतरीज से निकलने वाले कचरों पर आधारित 102, मेगावाट क्षमता का प्लांट स्थापित किया जा चुका है।
4. बायोमास मैसीफायर संयंत्र- यह संयंत्र बायोमास धान की भूसी व लकड़ी को अत्यंत ज्वलनशील गेस में परिवर्तित कर देता है, जिसे प्रोडयूसर गैस कहते हैं। प्रदेश की 171 से अधिक औद्योगिक इकाइयों द्वारा विभिन्न क्षमता के गैलीफायर संयंत्रों की स्थापना 41.65 मेगावाट विद्युत क्षमता सृजित हुई है।
5. वेस्ट विद्युत परियोजनाएं - उत्तर प्रदेश के विभिन्न चीनी मिलों में उपलब्ध खोई (बगाज) से अतिरिक्त विद्युत सृजित की जा सकती है लखीमपुर, मुरादाबाद, रोजागांव, बिजनौर, बरेली, गाजियाबाद, बुलंदशहर, बागपत, मुजफ्फरनगर तथा बिजनौर आदि जिलों में 2016-17 तक 65 निजी क्षेत्र के चीनी मिलों द्वारा कुल 1900 मेगावाट की परियोजनाएं स्थापित की जा चुकी थीं।
6. कूड़े-कचरे पर आधारित विद्युत उत्पादन परियोजना - नगरों में उत्पादित कूड़े-कचरे से वैज्ञानिक निष्पादन की प्रक्रिया से बाईप्रोडक्ट के रूप में ऊर्जा विद्युत उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए अपारम्परिक ऊर्जा स्रोत मंत्रालय, भरत सरकार द्वारा एक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाया जा रहा है। भारत सरकार के सहयोग से लखनऊ में 300 टन कूड़े-कचरे से 5 मेगावाट की एक प्रदर्शन परियोजना की सथापना का कार्य निजी उद्यमी मैसर्स एशिया बायोइनर्जी, चेन्नई द्वारा किया गया है। इन संयंत्र ने 16 अगस्त, 2003 से उत्पादन प्रारंभ कर दिया है। लखनऊ के अतिक्ति कानपुर, मेरठ, बरेली, वाराणसी, गाजियाबाद, आगरा तथा प्रयागराज में भी परियोजना की स्थापना का प्रस्ताव है।
7. राष्ट्रीय बायोगैस कार्यक्रम - भारत सरकार द्वारा शत प्रतिशत घोषित यह कार्यक्रम 1981-82 में शुरू किया गया और 1982-83 में राज्य ग्राम विकास विभाग के तहत चलाया जा रहा है।
8. पवन ऊर्जा - केंद्रीय संस्था एम.एन.आर.ई. की रिपोर्ट के अनुसार राज्य में 80 मी. की ऊंचाई पर पवन ऊर्जा से विद्युत उत्पादन का 1260 मेगावाट पोर्टन्शियल उपलब्ध है। वर्तमान में अध्ययन हेतु यह इंडिया लि. द्वारा 80 मी.
ऊंचाई के दो ग्रिड मॉनीटरिंग मास्ट शाहजहांपुर व खरीरी जिले में स्थापित कराए गए हैं। यूपीनेडा द्वारा ऐसे मास्ट गोण्डा, बलरामपुर व सिद्धार्थनगर में स्थापित कराए गए।
9. ऊर्जा पार्क- वैकल्पिक ऊर्जा से संबंधित कार्यक्रमों संयंत्रों के विषय में जन-मानस को संजीव प्रदर्शन के माध्यम से जानकारी उपलब्ध कराने के लिए विभिन्न जिलों में ऊर्जा पार्को की स्थापना की जा रही है। लखनऊ के चिड़ियाघर में एक राज्य स्तरीय ऊर्जा पार्क की स्थापना की गई है।
10. बार्डर एरिया डेवलमेंट कार्यक्रम - प्रदेश में यह कार्यक्रम 1999-2000 से चलाया जा रहा है। इसके अन्तर्गत अंतर्राष्ट्रीय सीमा से लगे जिलों बहराइच, श्रावस्ती, महाराजगंज, पीलीभीत, लखीमपुरी, बलरामपुर एवं
सिद्धार्थनगर के सीमावर्ती विकास खंडों में वैकल्पिक ऊर्जा संबंधी सोलर होम लाइट, सोलर लालटेन, सोलर पंप तथा 500 लीटर क्षमता के सोलर वॉल्टर हीटर आदि संयंत्रों की स्थापना एवं विवरण का कार्य किया जा रहा है।
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