राजस्थान के साहित्य | Rajasthan Literature GK in Hindi

Juhi
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राजस्थान के साहित्य | Rajasthan Literature GK in Hindi

नमस्कार दोस्तों, Gyani Guru ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में राजस्थान की भाषा एवं बोलियों से संबंधित सामान्य ज्ञान (Rajasthani Language and Dialects GK) दिया गया है। इस आर्टिकल में राजस्थानी भाषा और राजस्थानी बोलियों से संबंधित जानकारी का समावेश है जो अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है। यह लेख राजस्थान पुलिस, पटवारी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, बिजली विभाग इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।


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राजस्थान के साहित्य | Rajasthan Literature GK in Hindi


राजस्थानी साहित्य की प्रमुख काव्य रचनाएँ


बीसलदेव रासो नरपति नाल्ह विग्रहराज द्वारा रचित बीसलदेव रासो नामक ग्रंथ में चार खण्ड हैं। और इसमें दो हजार चरणों का उपयोग किया गया है। इसमें सांभर के राजा बीसलदेव तथा मालवा के राजा भोज परमार की पुत्री राजमती के प्रेम का सुंदर वर्णन है।


हम्मीर रासो  राजस्थानी काव्यकार शारंगधर द्वारा रचित हम्मीर रासो में चित्तौड़ के राजा हम्मीर और मुस्लिम शासक अलाउद्दीन के बीच हुए युद्ध का ओजस्वी वर्णन है। रासो काव्य परंपरा का प्रमुख ग्रंथ।


राव जैतसी रो छंद बीकानेर के राव जैतसी की प्रशंसा में लिखित काव्य राव जैतसी रो छंद के रचयिता, बीतू शाखा के चारण कवि सूजाजी हैं।


माधवानल काम कंदला प्रबंध इस लोक प्रचलित प्रेमाख्यान की रचना गणपति कवि ने मारवाड़ी दूहों में की है। प्रेम-श्रृंगार का सरल लोकप्रिय काव्य।


पृथ्वीराज रासो  दिल्ली के सम्राट महाराजा पृथ्वीराज के सामन्त और राजकवि चंदबरदायी ने पृथ्वीराज रासो नामक काव्य की रचना की। इसके उत्तरार्द्ध के बारे में यह प्रसिद्ध है कि इस अपूर्ण रचना को कवि चंदबरदायी के पुत्र जल्हण ने पूरा किया था। 'पृथ्वीराज रासो' प्राचीन राजस्थानी का सर्वाधिक प्रसिद्ध एवं उत्कृष्ट काव्य-ग्रंथ है। बहुविध छंदों का भावानुकूल प्रयोग (लगभग 72 छंद), शृंगार पुष्ट वीर रस की मर्मस्पर्शी व्यंजना, जीवंत एवं सांगोपांग वर्णन बहुलता, इतिहास और कल्पना का अनूठा मिश्रण इस महाकाव्य की उल्लखनीय विशेषताएं हैं।


खुमाण रासो दलपत विजय रचित प्राचीन काव्य। इसमें बप्पा रावल से लेकर महाराज राजसिंह तक के मेवाड़ के राजाओं का वृत्त प्रस्तुत किया गया है। आठ खंडों में रचित काव्य। वीर रसात्मक रासो-काव्य परंपरा का महत्वपूर्ण ग्रंथ।


अचलदासी खींची री वचनिकालगभग सं. 1500 में रचित प्रसिद्ध राजस्थानी रचना। रचनाकाल और लिपिकाल की दृष्टि से चारण साहित्य की सर्वाधिक प्राचीन रचना। पद्य और गद्य दोनों के बंध दृष्टव्य। ऐतिहासिक संदर्भ एवं प्रभावपूर्ण काव्य-कौशल दोनों दृष्टियों से महत्वपूर्ण। इसके रचनाकार हैं चारण कवि सिवदास गाडण। इसमें मांडू के बादशाह तथा गागरोन गढ़ के राजा अचलदास खींची के युद्ध का चित्रण है। इसकी भाषा डिंगल है।


बचनिका राठौड़ रतनसिंह री महेसदासीत री   खिड़िया जम्मा द्वारा रचित इस वनिका का रचनाकाल लगभग सं. 1715 है। इसमें राणा रतनसिंह का वीरतापूर्वक युद्ध में ल काम आना और पदमिनी का अन्य स्त्रियों के साथ सती होने का वर्णन पद्य और गद्य दोनों में है। यह वीर रस का सुंदर एवं इतिहास परक काव्य है।


ढोला मारू रा दूहा कवि कल्लोल द्वारा रचित प्रसिद्ध लोकगाथा-काव्य। ढोला और मारवणी के लोक प्रचलित प्रणय-प्रसंग पर आधृत यह काव्य प्रेम और शृंगार का सरस लोक काव्य है- मारवणी का विरह-वर्णन अपने आप में अनूठा और मार्मिक है। राजस्थानी लोक-वर्णन अपने आप में अनूठा और मार्मिक है। राजस्थानी लोक-संस्कृति एवं कथानक रूढ़ियों का जीवंत चित्रण।


वेलि क्रिसन रुकमणी री महाकवि पृथ्वीराज राठौड़-रचित प्रसिद्ध एवं उत्कृष्ट काव्य। रचनाकाल सं. 1637 है। यह शृंगार भक्ति और वीररस का श्रेष्ठ काव्य है-भावों और शिल्प का अनूठा उन्मेष। इसमें रुकमणी हरण, कृष्ण-रुकमणी-परिणय, उनके अभिसार और प्रद्युम्न-जन्म की कथा है।


रुकमणी-हरण  सायां जी झूला रचित पौराणिक-धार्मिक प्रबंध काव्य। रुकमणी के कृष्ण द्वारा हरण और दोनों के विवाह की कथा का वर्णन। 'वेलि क्रिसन रुकमणी री' शृंगार भक्तिपरक काव्य है, 'रुकमणी-हरण' वीर रस की रचना है।


मीराबाई-पदावली भक्तिकाल की विश्ववंदिता कवयित्री मीरा के पदों का संग्रह। कांता या माधुर्य भाव की भक्ति, प्रेम की पीर, भाषा और अभिव्यक्ति की अनूठी सादगी और गेयता की दृष्टि से मीरा के पद अतुलनीय हैं।


ढोला-मारवण री चौपई  प्रसिद्ध जैन कवि कुशल लाभ द्वारा रचित। इसमें ढोला-मारू संबंधी लोक प्रचलित, विकीर्ण दोहों को संगृहीत कर कवि ने अपनी उत्कृष्ट चौपाइयाँ मिलाकर इस लोककथा को प्रौढ़ एवं पूर्ण रूप प्रदान किया है।


हालाँ झालाँ री कुंडलियाँ कवि ईसरदास-रचित इस काव्य में पचास कुंडलियों का संग्रह है। यह रचना हलवद नरेश, झाला रायसिंह और ठाकुर हाला जसाजी के मध्य हुए युद्ध की स्मृति में रची गई है। यह वीर रस की फड़कती काव्य-रचना है-राजस्थानी की श्रेष्ठ रचनाओं में अग्रगण्य।


विरुद छहत्तरी जोधपुर के कवि दुरसा आढ़ा द्वारा रचित वीररस-काव्य। इसके फड़कते दोहे काफी लोक प्रचलित हैं।


राजरूपक कविवर वीरभाण द्वारा रचित डिंगल का प्रसिद्ध ग्रंथ। जोधपुर-नरेश अभयसिंह और गुजरात के सूबेदार शेरविलंद खाँ के युद्ध का चित्रोपम, ओजपूर्ण वर्णन।


बाँकीदास ग्रंथावली कविराजा बाँकीदास प्रामाणिक गद्यकार के साथ कविश्रेष्ठ भी-इनके वीर रस, व्यवहारिक लोकानुभव और नीति संबंधी दोहे विद्वानों और जनसामान्य दोनों में प्रशंसित, लोकप्रिय। नागरी प्रचारिणी सभा द्वारा इनकी सभी रचनाएँ 'बाँकीदास ग्रंथावली' में प्रकाशित।


वंशभास्कर महाकवि सूर्यमल्ल द्वारा रचित सुप्रसिद्ध रचना-इसमें बूंदी राज्य का प्रामाणिक, तथ्यपरक, निष्पक्ष एवं पद्यबद्ध इतिहास है।


आकार और कलासौष्ठव दोनों दृष्टियों से राजस्थानी का गौरव-ग्रंथ।


वीर सतसईमहाकवि सूर्यमल्ल मिश्रण द्वारा ही रचित राजस्थानी का उत्कृष्ट काव्य, काव्य-सौष्ठव की दृष्टि से वीर रस की कालजयी, अमर रचना।


उमर काव्य उमरदान चारण-रचित भक्तिरस का अप्रतिम काव्य। इस काव्य में हास्य-व्यंग्य और वीर रस की प्रभावपूर्ण व्यंजना है।

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केहर प्रकाशकवि बजावर जी (सं. 1870 - सं. 1951) द्वारा रचित श्रेष्ठ काव्य-रचना, इसमें कमल प्रसन्न नामक वेश्या और उसके प्रेमी केसरी सिंह की प्रणय-गाथा वर्णित है।


कान्हड़दे प्रबंधनागर ब्राह्मण पद्मनाभ द्वारा रचित काव्य। कान्हड़दे के साथ अलाउद्दीन के युद्धों का वर्णन। चार खंडों में विभाजित इस काव्य में दो हजार पंक्तियाँ हैं। चौपाई-दोहा-सवैया में काव्य-बद्ध।


पाबूजी रा छंद बीठू मेहा-रचित इस काव्य में 46 पद्य रचना हैं-3 गाहा, 42 त्रोटक और 1 कलस छंद। पाबू जी के पराक्रम और वीरगति पाने की घटनाओं का वर्णन।


नरसी रो माहेरौ रतना खाती द्वारा रचित प्रसिद्ध लोक काव्य-भक्त नरसी की पुत्री नानीबाई के भात भरने की लोकप्रिय कथा का सरस वर्णन है।


सेनानी मेघराज मुकुल द्वारा रचित प्रसिद्ध वीररस पूर्ण लंबी कविता।


पातल और पीथल कन्हैयालाल सेठिया रचित सुप्रसिद्ध मर्मस्पर्शी एवं लोकप्रिय रचना।


आधुनिक राजस्थानी काव्य एवं अन्य रचनाएँ 


काव्य

कवि

लू, बादली, कहमुकरणी

चंद्र सिंह

कलायण, समय वायरो, दसदैव

नानूराम संस्कर्ता

कँजा, गोपी गीत

मनोहर शर्मा

साँझ और दुर्गादास

नारायणसिंह भाटी

मेहाई महिमा

हिंगलाजदान

नवी रागणी

सुमनेश जोशी

सतपक वानी

विमलेश

घुड़सार-सती शतक, भासा शतक

उदयराज ऊजल

धरती रा गीत

निरंजननाथ आचार्य

हाथ कतर लीनो बारलो

भीम पंड्या

रक्तदीप

गणपति चंद्र भंडारी

चेत मानखाँ

रेवतदान चारण

सोनो निपजै रेत में

गजानन वर्मा

रामतिया मत तोड़

कल्याणसिंह राजावत

किरत्यां

मेघराज मुकुल


राजस्थानी साहित्य - प्रमुख गद्य रचनाएँ

(प्राचीन/मध्यकाल)

षडावश्यक बालावबोध आचार्य तरुणप्रभु सूरि-रचित राजस्थानी गद्य की प्रथम प्रौढ़-कृति (सं. 1411)।


अचलदास खींची री वचनिका (सं.1500)सिवदास गाडण द्वारा रचित राजस्थानी की प्राचीन, प्रामाणिक एवं उत्कृष्ट गद्य-रचना; अतुलनीय ऐतिहासिक महत्व।


राठौड़ रतनसिंह महेसदासौतरी वचनिका खिड़िया जग्गा द्वारा रचित अन्यतम वचनिका। राजस्थानी गद्य-पद्य बंध का प्रौढ़ उत्कर्ष।


नैणसी री ख्यात मुहणोत नैणसी द्वारा रचित इस प्रसिद्ध गद्य-रचना में राजपूत राजाओं और राज्यों का विशाल ऐतिहासिक विवरण प्रस्तुत किया गया है- प्रामाणिक और श्रेष्ठ।


दयालदासरी ख्यातदयालदास द्वारा रचित राजस्थानी गद्य की प्रौढतम रचना-बीकानेर के राजाओं का प्रामाणिक एवं इतिहास सम्मत चित्रण।


बाँकीदासरी ख्यात राजस्थानी गद्य की प्रसिद्ध ऐतिहासिक गद्य रचना। इस ख्यात के इतिहासपरक प्रामाणिक संदर्भो का अतिशय महत्व है।

(आधुनिक काल)


आभै पटकी विधवा-जीवन पर आधारित श्री लाल नथमल जोशी द्वारा लिखित उपन्यास।


आँधी और आस्थाअन्नाराम सुदामा-रचित उपन्यास। राजस्थान के ग्रामीण जीवन के अभाव और गरीबी का यथार्थपरक जीवंत चित्रण।


इब तो चेतो(1963) नागराज शर्मा कृत एकांकी संग्रह। आभलदे-रामदत्त सांकृत्य-रचित उपन्यास।


आँधे ने आंख्याअन्नाराम सुदामा का कहानी संग्रह।


अमर चूनड़ी नृसिंह राजपुरोहित रचित कहानी संग्रह।


एक बीनणी दोबीनश्रीलाल नथमल जोशी-कृत उपन्यास।


ओलखांण शिवराज छंगाणी द्वारा लिखित चौदह रेखाचित्रों का संग्रह।


उणियारा शिवराज छंगाणी द्वारा लिखित चौदह रेखाचित्र- संस्मरण संग्रह।


आदमी से सींग करणीदान बारहठ कृत कहानी-संग्रह।


असवाई पसवाई-सांवरदइया कृत कहानी संग्रह।


आपणा बापूजी श्रीलाल नथमल जोशी द्वारा रचित जीवनी।


उजास जगदीश चंद्र माथुर द्वारा लिखित दस एकांकियों का संग्रह। 1989 में प्रकाशित।


इब तो मुलको नागराज शर्मा-रचित 15 एकांकियों का संग्रह। हास्य-व्यंग्य और मनोरंजन का सुंदर सम्पुट।


कनक सुंदर आधुनिक राजस्थानी के प्रथम उपन्यास के रूप में प्रसिद्धः 11 खंडों में विभाजित इस उपन्यास में दो भिन्न विचार परिवेश के परिवारों की रोचक कथा है।


कंवल पूजा सत्येन जोशी-रचित उपन्यास। इसमें नारी के साथ होने वाले व्यभिचार और शोषण का मर्मस्पर्शी चित्रण।


गल गचिया 64 बंधों का गद्यकाव्य। सुंदर, प्रभावपूर्ण लघु रचनाएं।


गुवारपाठो (1970) दीनदयाल कुंदन कृत उपन्यास। एक भिखारिन और एक अभिजात परिवार के व्यक्ति के प्रणय-प्रसंग एवं दैहिक संबंध की कथा।


ग्योही नानूराम संस्कर्ता का बहुचर्चित कहानी संग्रह।


गुवाड़ रीजायेड़ी सत्यनारायण प्रभाकर 'अमन' का लोकप्रिय नाटक।


गोधौं रै पंजाब्रजनारायण पुरोहित द्वारा रचित संस्मरण संग्रह।


घर संसार अन्नाराम सुदामा द्वारा रचित उपन्यास। इसमें ग्राम जीवन की विसंगतियों, सामाजिक कुरीतियों एवं ऊँच-नीच को उजागर किया गया है।


घर की गाय नानूराम संस्कर्ता कृत श्रेष्ठ कहानी संग्रह।


चम्पा वृद्ध विवाह की समस्या को लेकर श्री नारायण अग्रवाल का रोचक उपन्यास।


चूनड़ी (1955) पं. इंद्र का रुचिकर नाटक संग्रह।


छोटी उमर मोटा काम (1972) दीनदयाल ओझा द्वारा लिखित प्रेरणादायी जीवनी।


जूना जीवंता चितराम (1960) 29 रेखाचित्रों के इस संकलन के रचयिता मुरलीधर व्यास एवं मोहन लाल पुरोहित हैं।


जाति-पाँति पूछ ना कोई ऊँच-नीच पर आधारित डॉ. रामकृष्ण महेन्द्र का प्रभावपूर्ण नाटक।


जोग संजोग यादवेन्द्र शर्मा 'चंद्र' द्वारा रचित उपन्यास। महानगरों में संबंधों की जड़ता का प्रभावशाली प्रस्तुतीकरण।


टमरक टू रामनिरंजन शर्मा द्वारा लिखित इस एकांकी संकलन में सात बालोपयोगी रचनाएँ हैं।


टाबरां री बातां (1961) लक्ष्मीकुमारी चूंडावत कृत रोचक कहानी संग्रह।


ठा पड़बा लागगी(1967) भालचंद कीला का लोकप्रिय एकांकी संग्रह।


ढोला मरवणभरत व्यास द्वारा लिखित प्रभावपूर्ण एवं सुंदर तीस मार खाँ-डॉ. गोरधन सिंह द्वारा रचित लोकप्रिय व्यंग्य नाटक।


तास रो घर(1973) यादवेन्द्र शर्मा द्वारा लिखित सुंदर नाटक, जिसमें शहरी जीवन की विडंबनाओं का चित्रण है। तिरसंकू-  छत्रपति सिंह कृत इस उपन्यास में आधुनिक नौजवानों की मानसिकता का चित्रण किया गया है।


तोडीराव विजयदान देथा द्वारा रचित उपन्यास। यह कृति लोककथा का उपन्यास में रूपांतरण है।

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तगादो(1972) भंवरलाल सुथार 'अमर' कृत रोचक कहानी संग्रह।


दूर दिसावट(1975) यात्रा-वर्णन के इस संस्मरण के रचनाकार अन्नाराम सुदामा


देस रे वास्तै(1967) आज्ञाचंद भंडारी कृत प्रभावशाली एकांकी संग्रह।


दस दोखनानूराम संस्कर्ता द्वारा लिखित रुचिकर कहानी संग्रह।


धोरां रो धोरी (1968) श्री लाल नथमल जोशी द्वारा रचित उपन्यास।


नहरी झगड़ो(1960) इस पुरस्कृत एकांकी के रचयिता निरंजननाथ आचार्य हैं। इसमें सहकारिता एवं ग्रामीण एकता पर जोर दिया गया है।


नई बीनणी(1962) जमनाप्रसाद पचेरिया कृत रोचक नाटक।


नैणसी रो साको(1973) इस रोचक एवं प्रभावशाली एकांकी-संग्रह के रचयिता मनोहर शर्मा हैं।


नुकती दाणांश्री गोविन्द्र अग्रवाल द्वारा रचित उक्त कृति में 101 रचनाएँ हैं।


पाँवड़ा, पड़ाव और मजल 21 निबंधों के इस संग्रह के रचयिता बी.एल. माली अशांत हैं।


पन्ना धाय(1963) आज्ञाचंद भंडारी कृत प्रभावपूर्ण नाटक।


पाणी पली पाल(1973) बद्रीप्रसाद पंचौली का सुंदर नाटक।


बातां ही चालै चुरु जिले के आदर्शों एवं जीवन मूल्यों पर आधारित लोकप्रिय कहानी संग्रह। इसके रचयिता कुंज बिहारी शर्मा हैं।


बानगी(1965) भंवर लाल नाहटा कृत 7 रेखाचित्रों का प्रभावशाली संग्रह।


बोल म्हारी मछली इत्तो पाणी अर्जुनदेव चारण द्वारा रचित इस नाटक में समाज के सज्जन एवं भोले लोगों पर हो रहे अत्याचारों पर व्यंग्य किया गया है।


बधती अंवलाई ग्रामीण जीवन के आधुनिक तथ्य का चित्रण करता यह नाटक अन्नाराम सुदामा द्वारा रचित है।


बिकाऊ टोरड़ा (1958) फूलचंद डंगायच कृत नाटक।


भल लुआं बाजो कितीडॉ. किरण नाहटा द्वारा रचित सुंदर निबंध संग्रह।


भगवान महावीर  (1974) महावीर जी पर आधारित नृसिंह राजपुरोहित कृत उपन्यास।


मेघमालाठाकुर रामसिंह और सूर्यकरण पारीक द्वाराबलिखित सुंदर रचना।


मुलकता मिनख, मोवती धरती 12 यात्रावृत्तों का संग्रह जिसके लेखक अमरनाथ कश्यप हैं।


मैकती कायापुलकती धरती-"स्वय नारी ही अपने। कष्टों के लिए उत्तरदायी है", इस तथ्य को अन्नाराम सुदामा ने इस उपन्यास में चित्रित किया है।


मैवेरा रुखअन्नाराम सुदामा ने इस उपन्यास में आपात स्थिति में नसबंदी एवं उसके आतंक को उजागर किया गया है।


मिनखारा खोजस्वयं राजस्थान के वातावरण को उजागर करता यह उपन्यास वी.एल. माली 'अशांत' द्वारा रचित है।


मंत्री रो बेटोभूतपूर्व मंत्री के जीवन पर आधारित यह उपन्यास करणी दान बारहठ की कृति है।


माँ रो बदलोविजयदान देथा कृत सामाजिक उपन्यास।


मऊ चाली मालवैनृसिंह राजपुरोहित कृत उत्कृष्ट कहानी संग्रह।


रोवणिया दासानौ. रेखाचित्रों के इस संग्रह के रचनाकार सत्येन जोशी है।


राजस्थानी संस्कृति रातरामजहूर खाँ मेहर द्वारा रचित निबंधों का संकलन।


राममिलाई जोड़ी(1972) एकांकियों के संकलन के रचनाकार नागराज शर्मा हैं।


रंगीलो मारवाड़मारवाड़ की सुंदरता को उजागर करता यह नाटक भरत व्यास की कृति है।


रोहिडै रा फूलमनोहर शर्मा द्वारा रचित निबंध संग्रह।


राजस्थानी हास्य एकांकी(1967) श्री मंतकुमार व्यास एवं माल चंद कीला द्वारा लिखित।


लालड़ी एक फरूं गमगी(1974) सीताराम महर्षि कृत रोचक एवं प्रभावशाली उपन्यास।


लाडेसरबैजनाथ पँवार द्वारा रचित कहानी संग्रह।


वकील साहब(1973) 31 रचनाओं का यह एकांकी संकलन ब्रज नारायण पुरोहित द्वारा रचित है।


शिवचंद्र भरतिया(1970) किरण नाहटा द्वारा लिखित प्रेरणादायी जीवनी।


सबड़का(1960) श्री लाल नथमल जोशी कृत इस रचना में 31 रेखाचित्रों का संकलन है।


सांच रो भरमविजयदान देथा का यह उपन्यास रोचक प्रभावशाली है।


संभाल(1957) कहानी कार विजयदान देथा का उत्कृष्ट कहानी संग्रह।


सतरंगिणी(1955) गोविंद लाल माथुर द्वारा रचित रुचिकर एकांकी संग्रह।


हूँ गोरी किण पीव री(1969) यादवेन्द्र शर्मा 'चंद्र' ने उक्त उपन्यास में विधवा विवाह के महत्व को प्रकाशित किया है। यह उपन्यास मनोवैज्ञानिक आधार के कारण अधिक मार्मिक एवं द्रवणशील है।


हुँकारो दो सालक्ष्मी कुमारी चूंडावत का प्रभावशाली कहानी संग्रह।


उम्मीद है यह 'राजस्थानी साहित्य' सामान्य ज्ञान लेख आपको पसंद आया होगा। इस आर्टिकल से आपको राजस्थान gk, राजस्थान GK इन हिंदी, Rajasthan General Knowledge in Hindi, Rajasthan Samanya Gyan, Rajasthani Literature GK, Rajasthan's Literature GK in Hindi, राजस्थान  का साहित्य सामान्य ज्ञान इत्यादि की जानकारी मिलेगी। यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।


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