उत्तर प्रदेश में परिवहन तंत्र | Transport system in Uttar Pradesh
नमस्कार दोस्तों, Gyani Guru ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में उत्तर प्रदेश में परिवहन तंत्र से संबंधित जानकारी (Uttar Pradesh Transport System) दी गई है। जैसा कि हम जानते है, उत्तर प्रदेश, भारत का जनसंख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा राज्य है। उत्तर प्रदेश की प्रतियोगी परीक्षाओं में बहुत ज़्यादा कम्पटीशन रहता है। यह लेख उन आकांक्षीयों के लिए बहुत महत्वपूर्ण है जो उत्तर प्रदेश सिविल सर्विस (UPPSC), UPSSSC, विद्युत विभाग, पुलिस, टीचर, सिंचाई विभाग, लेखपाल, BDO इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर रहे है। तो आइए जानते है उत्तर प्रदेश के परिवहन तंत्र से संबंधित जानकारी-
उत्तर प्रदेश में परिवहन तंत्र | Transport system in Uttar Pradesh |
➤ परिवहन प्रणाली अर्थव्यवस्था में धमनियों की तरह कार्य करती है। वस्तुओं एवं व्यक्तियों के आवागमन में परिवहन प्रणाली प्रमुख भूमिका निभाती है।
➤ प्रदेश में परिवहन के मुख्य साधन सड़क, रेल, वायु और जल है। यात्री एवं सामान दोनों ही दृष्टि से सड़क यातायात का कुल यातायात में प्रतिशत बहुत तेजी से बढ़ रहा है। कुल यातायात में सड़क यातायात का भाग 70 प्रतिशत से भी अधिक है। स्वतंत्रता के समय प्रदेश में कुल 15,113 किमी पक्की सड़कें थी, जो वर्तमान में बढ़कर 238 हजार किमी. हो गई है।
उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम
➤ स्वतंत्रता से पूर्व उत्तर प्रदेश सरकार ने सुविधाओं में वृद्धि के लिए सड़क परिवहन के क्षेत्र में परिवहन के क्षेत्र में प्रवेश करते हुए ‘उत्तर प्रदेश राजकीय रोडवेज' नामक संगठन का गठन किया। इस संगठन ने प्रदेश में पहली बस सेवा 15 मई, 1947 को लखनऊ से बाराबंकी के लिए शुरू की। 1950 में राज्य विधान मंडल द्वारा इस संस्था को अतिनियमित करने के लिए एक कानून पास किया, जिसके तहत 1 जून, 1972 को उत्तर प्रदेश रोडवेज की जगह 'उत्तर प्रदेश राज्य सड़क परिवहन निगम' का गठन किया गया। निगम का मुख्यालय लखनऊ है, जिसका नियंत्रण निदेशक मण्डल द्वारा किया जाता है। प्रदेश में इसके कुल 20 क्षेत्र हैं।, जिसका नियंत्रण डीआरएम द्वारा किया जाता है। 20 क्षेत्रों के अन्तर्गत प्रदेश में कुल 106 डिपो हैं। निगम के विधाल बेड़े में सामान्य, डीलक्स तथा एसी आदि सभी प्रकार की बसें है। जिनके माधयम से लोकल, नगरीय तथा अंतर्राष्ट्रीय सेवाएं दी जा रही हैं।
उत्तर प्रदेश में विशिष्ट बस सेवाएं:
1. महानगरीय बस सेवा- (प्रयागराज, वाराणसी, कानपुर, लखनऊ, आगरा, मेरठ और गाजियाबाद) बड़े नगरों तथा पर्यटन नगर मथुरा व औद्योगिक नगर गौतमबु( नगर, में नगरीय बस सेवा का संचालन किया जा रहा है।
2. रेडियो टैक्सी सेवा - निजी क्षेत्र के माध्यम से सुरक्षित, आरामदायक व वातानुकूलित परिवहन साधन उपलब्ध कराने के उद्देश्य से प्रदेश के नगर निगम वाले 13 नगरों में सर्वप्रथम 22 नवंबर, 2013 को लखनऊ में यह सेवा शुरू की गई है।
3. जनरथ सेवा - राजधानी लखनऊ से निगम द्वारा राज्य के कई जिला मुख्यालयों तक कम किराए वाली वातानुकूलित जनरथ बसों का संचालन किया जा रहा है।
4. लोहिया ग्रामीण बस सेवा -फरवरी, 2015 से निगम द्वारा प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में सस्ती व सुलभ यात्रा हेतु यह सेवा शुरू की गई है। इस सेवा के तहत किराया सामान्य बसों से 25 प्रतिशत कम रखा गया है।
सड़क विकास से संबंधित नीति/कार्यक्रम/संस्थाएं
1. राष्ट्रीय राजमार्ग विकास परियोजना (एनएचडीपी) - दिसंबर, 2000 से शुरु किये गये इस विशाल परियोजना के क्रियान्वयन की जिम्मेदारी राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण (एनएचए) की है। विश्व की इस सबसे बड़ी एकल राजमार्ग परियोजना में 5,846 किमी, का स्वर्ण चतुर्भुज, जो चारों महानगरों को आपस में जोड़ता है तथा 7,300 किमी. का उत्तर दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम गलियारा शामिल है, जो क्रमशः श्रीनगर-कन्याकुमारी तथा सिलचर-पोरबंदर का जोड़ता है। उत्तर-दक्षिण एवं पूर्व-पश्चिम गलियारी के 6 लेन की सड़कें प्रदेश के झांसी जिले में एक-दूसरे को काटती हैं। सिलचर से चलने वाली 6 लेन की सड़क प्रदेश में पूर्व से प्रवेश करने के बाद लखनऊ तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 28 का और लखनऊ के बाद झांसी तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 25 का अनुसरण करती है, जबकि कोलकाता से चलने वाली 4 लेन की (स्वर्णिम चतुर्भुज) सड़क वाराणसी में प्रवेश करने से लेकर कानुपर (यही पर 6 लेन के पूर्व-पश्चिम गलियारा से मिलती है।) होते हुए दिल्ली तक राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 2 (जीटी रोड) का अनुसरण करती है।
2. उत्तर प्रदेश सड़क सपुरक्षा नीति, 2014 - प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं की रोकथाम एव यातायात प्रबंधन हेतु 12 सितंबर, 2014 को उत्तर प्रदेश सड़क सुरक्षा नीति 2014 लागू किया गया। उत्तर प्रदेश देश का पहला ऐसा राज्य है, जहां सड़क सुरक्षा नीति लागू की गई है।
3. उत्तर प्रदेश एक्सप्रेस-वे इंडिस्ट्रयल डेवलपमेंट अथॉरिटी - राज्य सरकार द्वारा इस अथॉरिटी का गठन राज्य में एक्सप्रेसवे के विकास के लिए सितंबर, 2007 में किया गया राज्य का पहला एक्सप्रेस-वे 2002-03 में नोएडा-ग्रेटर नोएडा के बीच बनाया गया था। यह एक्सप्रेस कार्परिशन के गठन से पूर्व ही बनाया गया था। इस अथारिटी अंतर्गत अन्य प्रोजेक्ट-आगरा-लखनऊ के बीच 6 लेन का एक्सप्रेस कंट्रोल्ड ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे, लखनऊ-बलिया एक्सप्रेस-वे, बिजनौर-मुरादाबाद,फतेहगढ़, झांसी-कानपुर, ग्रीनफील्ड एक्सप्रेस-वे लखनऊ बलिया एक्सप्रेव-वे, बिजनौर मुरादाबाद फतेहगढ़, झांसी - कानपुर - लखनऊ - गोरखपुर कुशीनगर, लखनऊ - बाराबंकी - नानापारा लिंक, आगरा कानपुर, नरोरा - उत्तराखंड सीमा एक्सप्रेस - वेसनोटा ब्रिज (बुलंदशहर) से पुरकाजी (मुजफ्फरनगर) अपर गंगा केनाल एक्सप्रेस-वे सनौटा ब्रिज कानपुर-फतेहगढ़ अपर गंगा कैनाल एक्सप्रेस से निर्माणाधीन व प्रस्तावित है।
4. अपर गंगा कैनाल एक्सप्रेस वे- पीपीपी आधार पर ग्रेटर नोएडा से हरिद्वार होते हुए देहरादून तक अपर गंगा कैनाल एक्सप्रेस वे का निर्माण अपर गंगा नहर के दायें तट पर किया जाना है। उत्तर प्रदेश में इसकी लंबाई 216 किमी. होगी, शेष उत्तराखंड में होगी। उत्तर प्रदेश में इसके दो भाग होंगे। एक 149 किमी. का एक्सप्रेस वे और दूसरा 67 किलोमीटर का लिंक एक्सप्रेस वे। प्रदेश सरकार की योजना इस एक्सप्रेसवेको गाजियाबाद के पास ईस्टर्न पेरीफेरल एक्सप्रेस वे से जोड देने की है, ताकि बुलंदशहर, हापुड़ मुजफ्फरनगर के साथ-साथ उत्तराखंड के लिए सड़क मार्ग से यात्रा करना आसान हो सके। प्रवेश नियंत्रित आठ लेन वाले इस एक्सप्रेसवे से पांच लिंक एक्सप्रेसवे को भी जोड़ने का प्रस्ताव है।
5. आगरा-लखनऊ एक्सप्रेस-वे - देश के सबसे लंबे (302 किमी.) 6 लेन (110 मी.) के प्रवेश नियंत्रित आगरा-लखनऊ ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे को नवंबर 2016 में चालू किया गया है। एडवांस्त ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम से लेस इस एक्सप्रवे-वे पर आपात लडिग हेतु . 3 किमी. की हवाई पट्टी भी बनाई गई है। इस पर वाहन की अधिकतम गति 120 किमी. घंटा है। एतमादपुर (आगरा) से शुरू होकर सरोसा-परोसा (लखनऊ) तक का यह एक्सप्रेस-वे 10 जिलों (आगरा, फिरोजाबाद, मैनपुरी, इटावा, औरैया, कन्नौज, कानपुर, उन्नाव, हरदोई व लखनऊ) से होकर गुजरता है। अब यमुना एक्सप्रेसवे के माध्यम से लखनऊ दिल्ली से जुड़ गया है।
6. उत्तर प्रदेश राज्य राजमार्ग प्राधिकरण- प्रदेश में राजमार्गों के विकास एवं पुनर्रक्षण हेतु राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय वित्तीय संस्थाओं तक निजी क्षेत्रों सहयोग से पीपीपी या अन्य पद्धति से राज्य राजमागों के उच्चीकरण अनुरक्षण हेतु जून, 2004 में इस प्राधिकरण का गठन किया गया था। प्राधिकरण के गठन के समय 1000 करोड़ रुपए की पूंजी रखी गई थी।
7. यमुना (ताज) एक्सप्रेस वे - ग्रेटर-नोएडा से आगरा (165-53 किमी.) तक 100 मी. चौड़ा 6 लेन की सड़क का निर्माण अप्रैल, 2001 में गठित यमुना एक्सप्रेस औद्योगिक विकास प्राधिकरण द्वारा बिल्ड, आपरेट एंड ट्रांसपुर परियोजना के अंतर्गत जेपी इन्फाटेक लि. द्वारा कराया गया है। 9 अगस्त, 2012 को इसे आम जनता के लिए खोला गया है। इस एक्सप्रेस-वे को 120 कि.मी./घंटा की स्पीड के लिए डिजाइन किया गया है। इस एक्सप्रेस-वे में तीन स्थली पर इन्टरचेंज का निर्माण किया गया है। जहां पर अनेक तरह की सुविधाएं उपब्ध हैं। यह एक्सप्रेस वे गौतम बुद्ध नगर, अलीगढ़, मथुरा, व आगरा जिलों से होकर गुजरती है। इस परियोजना के विकासकर्ता जेपी समूह को इस पर 36 वर्षों तक टोल टैक्स वसूली का अधिकार दिया गया है।
8. प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना - गांवों को पक्की सड़कों से जोड़ने संबंधी, यह योजना दिसंबर, 2000 में शुरू की गई। आरंभ में 500 या उससे अधिक आबादी के गांवों को 2010 तक पक्की सड़कों से जोड़ने का लक्ष्य रखा गया था। 2015 से इस योजना का द्वितीय चरण शुरू हुआ है। विधानसभा/परिषद क्षेत्र सड़क निर्माण योजना इस योजना के अंतर्गत प्रत्येक विधानसभा परिषद क्षेत्र के ग्रामीण या शहरी भाग में 5 किमी तक सड़कों का निर्माण सदस्य की अनुमति से किया जाता है।
➤ उत्तर प्रदेश में रेल परिवहन भारत में प्रथम रेल लाइन 1853 में मुंबई से थाना के बीच (31 किमी) बिछाई गई। वर्तमान में उत्तर प्रदेश में लगभग 9167 किमी रेलमार्ग देश में उत्तर प्रदेश का कुल रेलपथ नेटवर्क प्रथम स्थान है।
➤ उत्तर प्रदेश में प्रथम रेलगाड़ी मार्च 1859 में प्रयागराज से कानपुर तक चलायी गई।
➤ 16 रेल जोनों में से 5 रेल जोनों की लाइनें प्रदेश से गुजरती है। जो इस प्रकार हैं- उत्तर रेल, मध्य रेल, पश्चिम रेल, पूर्वोत्तर रेल तथा उत्तर मध्य रेल।
➤ उपरोक्त 5 रेल जोनों में से दो के मुख्यालय उत्तर प्रदेश में हैं- पूर्वोत्तर रेल का मुख्यालय गोरखपुर, उत्तर मध्य रेल का मुख्यालय प्रयागराज।
➤ प्रदेश में कानपुर, आगरा, झंसी, मुरादाबाद, लखनऊ, गोरखपुर, मुगलसराय, प्रयागराज, वाराणसी, टुंडला, गोंड, फैजाबाद, बरेली, औडहार, आदि मुख्य रेल एवं जंक्शन हैं।
➤ प्रदेश में विभिन्न जोनों के कुल 9 रेल मण्डल हैं, जो इस प्रकार है- (1) उत्तर रेलवे - मुरादाबाद का लखनऊ मण्डल, (2) पूर्वोत्तर रेलवे के इजरतनगर (बरेली), लखनऊ तथा वाराणसी मण्डल (3) पूर्व मध्य रेलवे के मुगलसराय मण्डल तथा (4) उत्तर मध्य रेलवे के प्रयागराज, आगरा तथा झांसी मण्डल । इन मंडलों में सबसे छोटा मण्डल मुगलसराय है, जो देश का भी सबसे छोटा रेल मंडल है।
➤ रेलवे ने प्रदेश सरकार के सहयोग से बौद्ध मंदिरों की यात्रा करने वाले पर्यटकों हेतु 'बौद्ध परिक्रमा एक्सप्रेस' आरंभ की है। यह रेलगाड़ी कौशाम्बी, प्रयागराज, गया, राजगीर, वैशाली, पटना, वाराणसी, गोरखपुर होते हुए लखनऊ तक की यात्रा पांच रात तथा छह दिनों में पूरी करती है।
➤ भारतीय रेलवे का सबसे लंबा रेलवे यार्ड मुगलसराय में है।
➤ प्रदेश में डीजल इंजन निर्माण हेतु डीजल लोकोमोटिव वर्क्स मंडुआडीह, वाराणसी की आधारशिला 23 अप्रैल, 1956 को तत्कालीन राष्ट्रपति स्वर्गीय डा. राजेंद्र प्रसाद द्वारा रखी गई।
➤ गोरखपुर कैंट का प्लेटफार्म संख्या एक विश्व का सबसे लंबा (1355.40 मी.) प्लेटफार्म है। एशिया एवं भारत का सबसे बड़ा बिजली लोको शेड मुगलसराय में है।
➤ भारतीय रेलवे में सर्वप्रथम 'लॉकर्स ऑन डील्ड' सुविधा नई दिल्ली व लखनऊ के बीच आने वाली शताब्दी एक्सप्रेस ट्रेन में 1994-95 में आरंभ हुई थी।
➤ गोरखपुर में एक रेल कोच रिपेयर कारखाना देश के तीसरे रेल कोच कारखाने की स्थापना दौलतगंज (रायबरेली) में की गई है।
➤ राज्य में प्रयागराज और गोरखपुर रेलवे में भर्ती हेतु दो भर्ती बोर्ड में हैं।
➤ राज्य में एक रेलवे संग्रहालय वाराणसी में है। एक बिजली ड्राइवर प्रशिक्षण केंद्र राज्य के गाजियाबाद में है। रेल सुरक्षा आयोग का मुख्यालय लखनऊ में है।
उत्तर प्रदेश में वायु परिवहन
➤ भारत में प्रथम हवाई उड़ान का प्रदर्शन 1911 में किया गया। 1953 में भारत सरकार द्वारा वायु परिवहन का राष्ट्रीकरण किया गया और एयर इंडिया तथा इंडियन एयर लाइंस नामक दो निगमों की स्थापना की गई।
➤ प्रदेश में इस समय कुल 46 हवाई पट्टियां हैं जिनमें से 16 प्रदेश सरकार, 8 एयरफोर्स व शेष केंद्र के नियंत्रण में है।
➤ अकबरपुर (अम्बेडकरनगर), अन्धऊ (गाजीपुर), अमहट (सुल्तानपुर), थानीपुर (अलीगढ़), डा. भीमराव अम्बेडकर (मेरठ) म्यारपुर (सोनभद्र), पलिया (खीरी), फर्रुखाबाद, फैजाबाद, कसया (कुशीनगर) श्रावस्ती, मुरादाबाद, सैफई (इटावा), आजमगढ़, झांसी व चित्रकूट में प्रदेश सरकार की हवाई पट्टियां हैं।
➤ खेरिया (आगरा) बमरौली (प्रयागराज), गोरखपुर, सरसवा (सहारनपुर), बरेली, चकेरी (कानपुर) हिंडन (गाजियाबाद) व बक्शी तालाब (लखनऊ) में एयरफोर्स की हवाई पट्टियां हैं।
➤ प्रदेश में भारतीय विमान पतन प्राधिकरण के दो (लखनऊ व वाराणसी) अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे हैं।
➤ जेवर (गौतमबुद्ध नगर) व कसया (कुशीनगर) में दो और अंतर्राट्रीय हवाई अड्डे बनाए जा रहे हैं।
➤ प्रयागराज के बमरौली में नागरिक उड्डयन प्रशिक्षण केंद्र तथा एक हवाई अड्डा विद्यालय है।
➤ रायबरेली के फुर्सतगंज में इंदिरा गांधी राष्ट्रीय उड़ान अकादमी है।
➤ फ्लाइंग स्कूल मेरठ, अलीगढ़, सेफई (इटावा) में है। आगरा में नेशनल पैरासूट ट्रेनिंग कालेज स्थित है यहां एयरो स्पोर्ट की भी व्यवस्था की जा रही है।
➤ केंद्र की उड़े देश का आम नागरिक (उड़ान) योजना के तहत प्रदेश के 12 शहरों (आगरा, कानपुर, प्रयागराज, अलीगढ़, आजमगढ़, बरेली, चित्रकूट, गाजियाबाद, झांसी, मुरादाबाद, सोनभद्र व श्रावस्ती के बीच हवाई सेवाएं शुरू की जाएगी। प्रदेश सरकार रीजनल कनेक्टिविटी स्कीम के तहत हवाई उडानों को बढ़ावा देने के लिए विमान कंपनियों को कई तरह की छूट प्रदान कर रही है।
उत्तर प्रदेश प्रमुख हवाई अड्डे
- बमरौली हवाई अड्डा : प्रयागराज
- फुरसतगंज हवाई अड्डा : रायबरेली
- इंदिरा गांधी उड़ान अकादमी : फुरसतगंज, रायबरेली
- नागरिक उड्डयन प्रशिक्षण केंद्र : बमरौली, प्रयागराज
- राजीव गांधी राष्ट्रीय विमानन वि.वि : फुरसतगंज, रायबरेली
- हिंडन हवाई अड्डा : गाजियाबाद
- सरसावा हवाई अड्डा : सहारनपुर
- चकेरी हवाई अड्डा : अहिरवां, कानपुर
- एयरोनॉटिकल ट्रेनिंग इंस्टीट्यूट : लखनऊ
- नेशनल पैरास्ट ट्रेनिंग कालेज : आगरा
- बक्शी तालाब हवाई अड्डा: लखनऊ
- गोरखपुर हवाई अड्डा : गोरखपुर
- बरेली हवाई अड्डा : बरेली
उत्तर प्रदेश में जल परिवहन
भारत सरकार ने गंगा नदी में प्रयागराज (उत्तर प्रदेश) से हल्दिया (पश्चिम बंगाल) तक के मार्ग की राष्ट्रीय जल मार्ग नम्बर एक घोषित किया है। जो देश का सबसे लंबा आंतरिक जलमार्ग है। अंतर्राष्ट्रीय जल मार्ग प्राधिकरण नोएडा एवं भारत सरकार के जल भूतल परिवहन मंत्रालय द्वारा अनुमोदित, तथा औफ रिपुरेन्स के अनुसार घाघरा नदी में अयोध्या व बलिया के मांझी घाट तक के जल परिवहन की परियोजना रिपोर्ट तैयार की जा रही है। जल परिवहन को विकसित करने एवं जलयानों के पंजीकरण में प्रदेश में एक जल परिवहन निदेशालय की स्थापना का प्रस्ताव भी शासन के समक्ष विचाराधीन है।
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