लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय

Juhi
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लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय

लोकनायक जयप्रकाश नारायण देश के उन चन्द गिने चुने नेताओं में से थे जिन्होंने देश की आजादी के लिए अनेकों कष्ट सहे परन्तु जिन्होंने देश से किसी प्रकार की कोई पदलिप्सा नहीं रखी। जयप्रकाश जी ऐसे नेता थे जिन्होंने आजादी से पूर्व और आजादी के बाद दोनों परिस्थितियों में जेल की यातनायें सहीं, जेल यात्रायें की। जयप्रकाश जी अगर चाहते तो जनता पार्टी की सरकार के दौरान देश के प्रधानमंत्री पद पर प्रतिष्ठित हो सकते थे परन्तु उन्हें पद का, धन का, यश का, सम्मान का कोई लोभ, कोई चाह नहीं थी। यही कारण है कि जयप्रकाश जी ने प्रधानमंत्री पद के लिए मोरारजी देसाई के नाम का अनुमोदन किया। वह एकमात्र ऐसे व्यक्ति थे जो विवाहित होकर भी आजीवन ब्रह्मचारी रहे।


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लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जीवन परिचय


जन्म एवं माता-पिता

प्रख्यात गाँधी वादी नेता, विनोवा के सर्वोदय आन्दोलन के समर्थक, लोकनायक जयप्रकाश नारायण का जन्म 11 अक्टूबर, 1902 को बिहार प्रान्त के एक छोटे से गाँव सितावदियरा में एक कायस्थ परिवार में हुआ था। आपके पिता हरसूदयाल प्रान्त के नहर विभाग में नौकरी करते थे। हरसूदयाल परम देशभक्त, गाँधी वादी विचारों के व्यक्ति थे। आपकी माता का नाम श्रीमती फूलरानी था। फूलरानी एक आदर्श भारतीय महिला थीं। वे धर्मनिष्ठ, ईश्वरभक्त, मितभाषी, मृदुभाषी एवं कुशल गृहिणीं थीं । शिष्ट एवं सुसंस्कृत माता-पिता के गुणों का प्रभाव उनके बच्चे जयप्रकाश पर भी पड़ा।


शिक्षा-दीक्षा

जयप्रकाश के पिता नहर विभाग में कर्मचारी थे। उनका स्थानान्तरण अक्सर इधर-उधर होता रहता था । पिता हरसूदयाल की तैनाती जिस शहर में होती, वे अपने बच्चों को भी अपने साथ उसी शहर को ले जाते थे। इस कारण जयप्रकाश जी की प्रारम्भिक शिक्षा कर्ड शहरों के कई स्कूलों में हुई । प्रारम्भिक शिक्षा पूरी करने के उपरान्त हरसूदयाल ने अपने पुत्र का दाखिला पटना के कालेजिएट स्कूल में करा दिया । पटना में जयप्रकाश जी 'सरस्वती भवन छात्रावास में रहते थे। आपने कालेजिएट स्कूल से मैट्रिक की परीक्षा प्रथम श्रेणी में उत्तीर्ण की। तत्पश्चात आपने अपना दाखिला कालेज में करा लिया। जिस समय आप एफ. ए. कर रहे थे, उसी समय आपका विवाह एक सुशील कन्या प्रभावती देवी के साथ सम्पन्न हुआ।


1921 में गाँधी जी ने असहयोग आन्दोलन शुरू किया। जयप्रकाश जी गाँधी जी के असहयोग आन्दोलन में शामिल हो गए। आपने अपनी पढ़ाई छोड़ खादी पहन ली। जयप्रकाश ने असहयोग आन्दोलन में तनमन से योगदान दिया।


असहयोग आन्दोलन बन्द होने के कुछ दिन पश्चात जयप्रकाश जी ने बिहार विद्यापीठ में पढ़ना शुरू किया । बिहार विद्यापीठ में कुछ दिन पढ़ाई करने के उपरान्त जयप्रकाश जी काशी विद्यापीट में पढ़ने के लिए बनारस चले गए। अमेरिका में विज्ञान का अध्ययन 1922 में जयप्रकाश जी विज्ञान का अध्ययन करने के लिए अमेरिका चले गए । अपने अमेरिका प्रवास के दौरान जयप्रकाश जी को अनेकों विषम परिस्थितियों का सामना करना पड़ा । आपने अपना खर्च पूरा करने के लिए होटलों में जूठे बरतन मांजने तक का काम किया । कुछ दिनों तक आपने दवाइयाँ बेंचने का काम भी किया । इस प्रकार जयप्रकाश जी सात वर्ष तक अमेरिका में रहे । 1929 में जयप्रकाश जी ने अमेरिका से एम. ए. की परीक्षा उत्तीर्ण की।

इधर जब जयप्रकाश जी अमेरिका प्रवास पर थे तब उनकी पत्नी श्रीमती प्रभावती देवी गाँधी जी के आश्रम में जाकर रहने लगी थीं । जब जयप्रकाश जी भारत वापस आए तब अपनी पत्नी को लेने गाँधी जी के आश्रम पहुंचे । वहाँ जयप्रकाश जी गाँधी जी से अत्यधिक प्रभावित हुए। अब जयप्रकाश जी भी देश सेवा के लिए गाँधी जी के साथ हो लिए।


कांग्रेस दफ्तर में

एक बार जयप्रकाश जी गाँधी जी के साथ लाहौर गए । वहाँ आपकी भेंट जवाहर लाल जी से हुई । लाहौर से वापस आकर जयप्रकाश जी गाँधी जी के आग्रह से इलाहाबाद में कांग्रेस दफ्तर के 'स्वराज भवन' में सेवा करने लगे। यहाँ कुछ दिनों तक रहने के उपरान्त आपने नौकरी छोड़ दी।

1930 में गाँधी जी ने नमक सत्याग्रह शुरू किया । गाँधी जी के आवाहन पर जयप्रकाश जी भी नमक सत्याग्रह में शामिल हो गये। उन्हें बम्बई में गिरफ्तार कर नौ माह के कारावास का दण्ड दिया गया ।

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समाजवादी दल का गठन

जयप्रकाश जी एक उच्चकोटि के विचारक एवं समाज सुधारक थे। वे एक ऐसे समाज का गठन करना चाहते थे जिसमें सबको सुख, शान्ति और न्याय मिल सके। इसी उद्देश्य से उन्होंने एक नई पार्टी समाजवादी दल का गठन किया। 1936 के आम चुनावों में समाजवादी दल ने एक पृथक दल के रूप में चुनाव लड़ा परन्तु समाजवादी दल को विशेष सफलता हासिल नहीं हुई। आठ राज्यों में कांग्रेस की सरकार बनी। इससे प्रेरित होकर जयप्रकाश जी अपने समाजवादी दल का विस्तार करने में जुट गए। समाजवादी दल के विस्तार करने के जयप्रकाश के प्रयास से अंग्रेज सरकार सकते में आ गयी। फलस्वरूप 1939 में जयप्रकाश जी को गिरफ्तार कर लिया गया।


भारत छोड़ो आन्दोलन और जयप्रकाश जी

1942 में गाँधी जी ने भारत छोड़ो आंदोलन का बिगुल बजाया। जयप्रकाश जी ने भारत छोड़ो आन्दोलन में बढ़ चढ़ कर हिस्सा लिया। इस कारण अंग्रेज सरकार ने जयप्रकाश जी को गिरफ्तार कर देवली कैंप में नजरबंद कर दिया। 


देवली कैंप में राजनीतिक बंदियों के साथ बहुत अन्याय और दुर्व्यवहार किया जाता था। जयप्रकाश जी ने इस आन्दोलन के विरोध में अनशन शुरू कर दिया। जबरदस्त विरोध के कारण अंग्रेज सरकार ने देवली कैम्प तोड़ दिया तथा वहाँ के कैदियों को देश की अन्य जेलों में भेज दिया। जयप्रकाश जी को देवली कैंप से हटाकर हजारीबाग जेल में कैद कर दिया गया ।

इधर देश भक्त जयप्रकाश जी का हृदय देश सेवा के लिए तड़प रहा था। उन्हें वंदी जीवन पसन्द नहीं था। अत: एक दिन जयप्रकाश जी चुपचाप जेल से फरार हो गए।


जब अंग्रेज सरकार को जयप्रकाश जी के फरार होने की सूचना मिली तो उसने इन्हें गिरफ्तार करने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया तथा गिरफ्तार करने या कराने वाले को 21000/- रुपये इनाम देने की घोषणा कर दी। जय प्रकाश जी अपनी गिरफ्तारी से बचने के लिए भेष बदलकर इधर-उधर घूमने लगे। आप दिल्ली, बम्बई, मद्रास, नेपाल आदि कई स्थानों पर रहे। इसी बीच सुभाष के सिंहनाद से प्रभावित हो जयप्रकाश जी ने उनकी 'आजाद हिन्द सेना' में भर्ती होने का निश्चय किया। जयप्रकाश जी आजाद हिन्द सेना में भर्ती होने के लिए वर्मा जा रहे थे तभी उन्हें अमृतसर स्टेशन पर गिरफ्तार कर लिया गया।


जयप्रकाश जी को गिरफ्तार कर लाहौर जेल में रखा गया । यहाँ जयप्रकाश जी को अनेक अमानवीय यातनाएं दी गयीं। उन्हें नगे बदन बर्फ की सिल्ली पर लिटाया जाता था। बिना पलक झपकाए घंटों खड़ा रखा जाता था परन्तु देशभक्त जयप्रकाश जी इन सभी कष्टों को चुपचाप सहन करते रहे। लाहौर जेल में कुछ समय रखने के बाद जयप्रकाश जी को आगरा जेल भेज दिया गया।


इसी बीच 1946 में कांग्रेस, मुस्लिम लीग और सरकार के बीच समझौता हो गया । कांग्रेस-लीग सरकार की स्थापना के दौरान जयप्रकाश जी को जेल से रिहा कर दिया गया। 1947 में देश की आजादी के समय ही देश का विभाजन हुआ तथा शरणार्थियों की विकराल समस्या देश के समक्ष उपस्थित हो गयी। जयप्रकाश जी ने पूरे देश में शरणार्थियों को बसाने के लिए दिन रात एक कर दी। 1952 में देश में आम चुनाव हुए । इन चुनावों में समाजवादी पार्टी की बुरी तरह से पराजय से त्रस्त हो जयप्रकाश जी ने प्रजातान्त्रिक समाजवादी पार्टी का गठन किया।


विनोबा और जयप्रकाश

इसी समय विनोबा जी अपने भूदान आन्दोलन के सिलसिले में बिहार आए हुए थे। जयप्रकाश जी विनोबा के आन्दोलन से अत्यधिक प्रभावित हुए। जयप्रकाश जी विनोबा के साथ हो लिए और उनके साथ जयप्रकाश जी ने कई गाँवों का दौरा किया। किसानों की सभाओं को सम्बोधित किया, उन्हें भूदान करने के लिए प्रेरित किया। जयप्रकाश और विनोबा जी के समन्वित प्रयासों से बिहार में भूदान आन्दोलन अत्यधिक सफल रहा।


जनता पार्टी का गठन

11 जनवरी, 1966 को लाल बहादुर शास्त्री के असामयिक निधन के उपरान्त इन्दिरा गांधी देश की प्रधानमंत्री बनीं । इन्दिरा गांधी के शासन काल के दौरान मंहगाई, भ्रष्टाचार, गरीबी, बेरोजगारी बढ़ी। इसके विरोध में देश के विद्यार्थियों ने आन्दोलन छेड़ा। जयप्रकाश जी ने विद्यार्थियों के आन्दोलन की अगुआई की। जबरदस्त आन्दोलन से घबड़ाकर इन्दिरा जी ने 1975 में देश में आपातकाल की घोषणा कर दी। आपातकाल के दौरान जुलूसों और सभाओं पर रोक लगा दी गयी। देश के अधिकांश विपक्षी नेताओं को गिरफ्तार कर लिया गया। जयप्रकाश जी को बन्दी बनाकर जेल में डाल दिया गया। आपातकाल के दौरान जयप्रकाश जी को चण्डीगढ़ जेल में रखा गया। इसी समय जयप्रकाश जी के गुर्दे खराब हो गए। बीमारी बढ़ जाने पर जयप्रकाश जी को पैरोल पर छोड़ दिया गया। जयप्रकाश जी अपने इलाज के लिए बम्बई के जसलोक अस्पताल में भर्ती हो गए। ठीक होने पर आप पटना चले गए।


1977 में इन्दिरा जी ने देश से आपातकाल समाप्त कर दिया। उन्होंने लोकसभा भंग कर चुनावों की घोषणा कर दी। जयप्रकाश जी ने प्रमुख विरोधी नेताओं को एकत्र कर एक नई पार्टी "जनता पार्टी" का गठन किया । 1977 के आम चुनावों में कांग्रेस पार्टी की पराजय हुई । देश में पहली बार कांग्रेस इतर जनता पार्टी की सरकार बनी । 24 मार्च 1977 को मोरारजी देसाई ने स्वतन्त्र भारत के प्रधानमंत्री का पद संभाला।


भारत रत्न

आजादी से पूर्व और आजादी के बाद देश के उत्थान के लिए जयप्रकाश जी के योगदान के प्रति कृतज्ञतस्वरूप भारत सरकार ने 1999 में जयप्रकाश जी को भारत रत्न से अलंकृत किया।


निधन

जयप्रकाश जी की बीमारी बढ़ने लगी। उन्हें जसलोक अस्पताल में डायलासिस पर रखा गया। जीवन और मृत्यु से संघर्ष करते जयप्रकाश जी ने 8 अक्टूबर, 1978 को अपनी अन्तिम सांस ली। देश का एक महान समाजवादी, गांधीवादी नेता हमारे बीच से चला गया।


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