राजस्थान के वन और वन्य जीव | Forest and Wildlife of Rajasthan

Juhi
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राजस्थान के वन और वन्य जीव | Forest and Wildlife of Rajasthan

नमस्कार दोस्तों, Gyani Guru ब्लॉग में आपका स्वागत है। इस आर्टिकल में राजस्थान के वन और वन्य जीव से संबंधित सामान्य ज्ञान (Rajasthan Forest and Wildlife GK) दिया गया है। इस आर्टिकल में राजस्थान के वन और वन्य जीव से संबंधित जानकारी का समावेश है जो अक्सर परीक्षा में पूछे जाते है। यह लेख राजस्थान पुलिस, पटवारी, राजस्थान प्रशासनिक सेवा, बिजली विभाग इत्यादि प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए महत्वपूर्ण है।


राजस्थान के वन और वन्य जीव, Forest and Wildlife of Rajasthan
राजस्थान के वन और वन्य जीव | Forest and Wildlife of Rajasthan


➤ राजस्थान के कुल क्षेत्रफल का 9.57% वन क्षेत्र है।
➤ उदयपुर सर्वाधिक वन क्षेत्र वाला जिला है।

➤ चुरु न्यूनतम वन क्षेत्र वाला जिला है।

➤ राज्य में राष्ट्रीय उद्यानों की संख्या 5 है।

➤ राज्य में अभयारण्यों की संख्या 25 है।

➤ सबसे बड़ा अभयारण्य राष्ट्रीय मरु उद्यान है।

➤ राज्य वन्य जीव बोर्ड की स्थापना वर्ष 1955 में की गई थी।

➤ राज्य में वन्य जीवों के संरक्षण की आधारशिला 7 नवंम्बर, 1955 को रखी गई। इस दिन सरिस्का, दरा, कैलादेवी, जयसमन्द, वन विहार, केवलादेव धना को आरक्षित क्षेत्र घोषित किया गया है।

➤ राज्य में वन संरक्षण अधिनियम, 1972 सन् 1973 में लागू किया गया।


राजस्थान के राष्ट्रीय उद्यान एवं वन्य जीव अभयारण्य


नाम

सम्बन्धित जिला/जिले

केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान

भरतपुर

राजीव गांधी राष्ट्रीय उद्यान, रणथम्भौर

सवाई माधोपुर

मुकुंदरा हिल्स राष्ट्रीय पार्क (दर्रा नेशनल कोटा

पार्क)

कोटा

रेगिस्तान राष्ट्रीय उद्यान

जैसलमेर

सरिस्का राष्ट्रीय उद्यान

अलवर

बन्ध बारेठा वन्य जीव अभयारण्य

भरतपुर

बस्सी वन्य जीव अभयारण्य

चित्तौड़गढ़

भैंसरोड़गढ़ वन्य जीव अभयारण्य

चित्तौड़गढ़

दरा वन्य जीव अभयारण्य

कोटा-झालावाड़

फुलवारी की नाल वन्य जीव अभयारण्य

उदयपुर

राष्ट्रीय मरु उद्यान

जैसलमेर एवं बाड़मेर

जयसमन्द वन्य जीव अभयारण्य

उदयपुर

जमवा रामगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

जयपुर

जवाहर सागर वन्य जीव अभयारण्य

कोटा

कैला देवी वन्य जीव अभयारण्य

करौली

कुम्भलगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

पाली-उदयपुर-राजसमन्द

माउण्ट आबू वन्य जीव अभयारण्य

सिरोही

नाहरगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

जयपुर

राष्ट्रीय घड़ियाल अभयारण्य

कोटा, सवाई माधोपुर, बूंदी, धौलपुर, करौली

रामगढ़ विषधारी वन्य जीव अभयारण्य

बूँदी

सज्जनगढ़ वन्य जीव अभयारण्य

उदयपुर

सरिस्का वन्य जीव अभयारण्य

अलवर

सीतामाता वन्य जीव अभयारण्य

चित्तौड़-उदयपुर

सवाई मानसिंह वन्य जीव अभयारण्य

सवाई माधोपुर

शेरगढ़-अचरौली वन्य जीव अभयारण्य

बारां

तालछापर वन्य जीव अभयारण्य

चूरू

टाटगढ़-रावली वन्य जीव अभयारण्य

अजमेर-पाली, उदयपुर

वन-विहार वन्य जीव अभयारण्य

धौलपुर

केसर बाग वन्य जीव अभयारण्य

धौलपुर

रामसागर वन्य जीव अभयारण्य

धौलपुर


➤ सबसे छोटा अभयारण्य तालछापर है।

➤ सबसे बड़ा (क्षेत्रफल में) आखेट निषिद्ध क्षेत्र संवत्सर कोटसर है।

➤ सबसे छोटा आखेट निषिद्ध क्षेत्र सैन्थल सागर (दौसा) है।

➤ पक्षियों की संख्या की दृष्टि से सबसे बड़ा अभयारण्य केवलादेव पक्षी विहार है।

➤ खेजड़ली मेला राज्य में वन संरक्षण से सम्बन्धित मेला है।

➤ वन संरक्षण से सम्बन्धित मुख्य पुरस्कार अमृता देवी पुरस्कार चुरु, दौसा और हनुमानगढ़ वन नगण्य क्षेत्र हैं।

➤ घास के मैदान व चरागाह, राजस्थानी भाषा में बीड़ कहलाते हैं।

➤ बांसवाड़ा, बारां, भरतपुर, श्रीगंगानगर, जैसलमेर व जोधपुर बिना वन आरक्षित वाले जिले हैं।


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राजस्थान के वनों के प्रकार


1. शुष्क सागवान वन- इन वनों में सागवान के वृक्ष अधिक होते हैं, ये बाँसवाड़ा, डूंगरपुर, उदयपुर व चित्तौड़गढ़ जिलों में पाये जाते हैं।

2. सालर वन- इन वनों में सालर वृक्ष के पेड़ों की अधिकता होती है। इनका विस्तार अजमेर, सिरोही, अलवर, जोधपुर व जयपुर जिलों में है।

3. उष्ण कटिबंधीय पतझड़ वन - इन वनों में मुख्यतः धौकड़ा, खैर, कत्था तेंदू, बहेड़ा, आँवला व बाँस आदि के पेड़ होते हैं, ये वन अरावली पर्वतीय ढालों व पठारी क्षेत्रों में हैं।

4. उष्ण कटिबंधीय काँटेदार वन - इन वनों में काँटेदार वृक्ष, झाड़ियाँ व बरसाती घास उत्पन्न होती है। इनका प्रमुख क्षेत्र पश्चिमी राजस्थान है। ये कुल वन क्षेत्र के 5% भाग पर हैं।

5. ढाक व पलास वन - ये वन नदी घाटी की उपजाऊ मिट्टी में पाये जाते हैं। इनमें सिरस, पीपल, महुआ, ढाक व पलास के वृक्ष पाये जाते हैं। ये वन अलवर, राजसमंद, उदयपुर, चित्तौड़गढ़ व सिरोही जिलों में पाये जाते हैं।

6. उष्ण सदाबहार वन - ये वन अधिक वर्षा वाले क्षेत्र में उत्पन्न होते हैं। इनमें सिरस, जामुन, बाँस, आम व केवड़ा आदि के वृक्ष मिलते हैं। ये वन आबू (सिरोही) पर्वतीय क्षेत्र में मिलते हैं।

7. मिश्रित वन- इन वनों में सदाबहार वृक्ष और पतझड़ वाले वृक्ष मिश्रित रूप से मिलते हैं। ये वन उदयपुर, सिरोही, चित्तौड़गढ़ बूँदी व कोटा जिलों में मिलते हैं।


राजस्थान के वानिकी पुरस्कार


1. अमृतादेवी स्मृति पुरस्कार- इस पुरस्कार का प्रारंभ 1994 में किया गया। अमृता देवी ने वृक्षों को बचाने के लिए एक समूह का नेतृत्व किया था जिन्होंने वृक्षों को कटने से रोकने के लिए प्राणोत्सर्ग किया था। यह राज्य का प्रतिष्ठित राज्यस्तरीय पुरस्कार है।


2. वानिकी पंडित पुरस्कार- किसी जिले में समग्र रूप से वृक्षारोपण करने, वनों का विकास करने वाले किसी व्यक्ति अथवा संस्था को दिया जाता है। यह दूसरा राज्यस्तरीय पुरस्कार है।


3. वानिकी लेखन व अनुसंधान पुरस्कार- वानिकी क्षेत्र में गौलिक सजनात्मक एवं अनुसंधानपरक कार्य जैसे पुस्तक, लेख, शोधपा आदि लिखने वाले लेखक अथवा अनुसंधानकर्ता को यह पुरस्कार दिया जाता है। यह तीसरा राज्यस्तरीय पुरस्कार है।


4. वृक्षमित्र पुरस्कार- यह राष्ट्रीय सम्मान वृक्षारोपण के क्षेत्र में तथा परती भूमि विकास के अन्य पक्षों में उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रदान किया जाता है। यह स्वर्गीय प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गाँधी की स्मृति में भारत सरकार द्वारा प्रतिवर्ष उनकी जन्मतिथि के अवसर पर "इंदिरा प्रियदर्शिनी वृक्षमित्र पुरस्कार' दिया जाता है।


5. वन प्रहरी पुरस्कार - यह पुरस्कार वनों में अवैध वन कटान को रोकने, अग्नि की रोकथाम, वन्य जीव-जंतुओं की सुरक्षा के क्षेत्र में उल्लेखनीय कार्य करने वाली संस्थाओं या समितियों को दिया जाता है।


6. महावृक्ष पुरस्कार- इस पुरस्कार का प्रारंभ वर्ष 1995 से किया गया। यह पुरस्कार प्राचीन एवं विशिष्ट प्रजातियाँ के वृक्षों की पहचान कर उन्हें सुरक्षित करने के उद्देश्य के लिए दिया जाता है।


7. वन्य जीव सूचना- पुरस्कार-वन्य जीवों का शिकार करने वालों की सूचना अथवा उनके बारे में वन्य जीव संरक्षण विभाग के अधिकारियों को सूचना देने वाले व्यक्ति को यह पुरस्कार दिया जाता है। राज्य में वन संवर्द्धन तथा वानिकी के क्षेत्र में 14 राज्य स्तरीय और 13 जिलास्तरीय वार्षिक पुरस्कार प्रदान किए जाते हैं।


8. वनपालक पुरस्कार- वन विभाग में कार्यरत ऑफिसरों, अधीनस्थ वनकर्मियों तथा अन्य श्रेणी के कर्मियों की अच्छी सेवाओं एवं योगदान के लिए यह पुरस्कार दिए जाते हैं। इसमें क्रमशः सर्वोत्तम वन रक्षक, वनपाल, क्षेत्रीय तथा वन मण्डल चार कोटियाँ हैं।


9. वृक्षवर्धक पुरस्कार- यह राज्य व जिला स्तर पर दिया जाने वाला पुरस्कार है, इसमें 6 श्रेणियों के अंतर्गत 12 पुरस्कार दिए जाते हैं। ये श्रेणियाँ इस प्रकार हैं-

  • व्यक्ति/कृषक
  • औद्योगिक प्रतिष्ठान/सामाजिक संस्थान
  • विद्यालय/शिक्षण संस्था 
  • ग्राम पंचायत
  • नगर पालिका/नगरपरिषद्

खनन क्षेत्र राज्य स्तर पर चयनित संस्था को एक हजार रुपये की राशि, प्रशस्ति-पत्र तथा जिला स्तर पर चयनित संस्था को पाँच सौ रुपये नकद एवं प्रमाण-पत्र दिया जाता है। कोई भी कृषक/संस्था, जिसने अपनी जमीन पर पाँच सौ या इससे अधिक वृक्षरोपित कर कम-से-कम तीन वर्ष तक उनकी देखरेख की हो, वे ही इस पुरस्कार प्रतिस्पर्धा में भाग ले सकते हैं।

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10. वनविस्तारक पुरस्कार- यह पुरस्कार उन व्यक्तियों संस्थाओं को दिया जाता है जो वानिकी विकास अथवा वृक्षारोपण एवं पर्यावरण संरक्षण के कार्यों में गत तीन वर्षों से सक्रिय है तथा जिन्होंने जन सामान्य को वृक्षारोपण एवं वनों की सुरक्षा हेतु प्रेरित करने का कार्य किया हो। यह पुरस्कार जिला स्तर पर दो श्रेणियों में दिया जाता है।


राजस्थान के वनस्पति प्रदेश


वनस्पति प्रदेश

प्रमुख वनस्पति

औसत वर्षा

शुष्क या मरुस्थलीय वनस्पति प्रदेश

खैर, बबूल, कीकर, फोग,  खेजड़ी एवं काँटेदार झाड़ियाँ आदि

10-25 सेमी

अर्द्धशुष्क या अर्द्ध मरुस्थलीय वनस्पति प्रदेश

आडू, इमली, काँटेदार झाड़ियाँ आदि

25-50 सेमी

शुष्क और आर्द्र वनस्पति प्रदेश

नीम, पीपल, शीशम, पलास, आम आदि

160-80 सेमी

आर्द्र वनस्पति प्रदेश

सागवान, सालर, तेन्दू,  बाँस, गूलर, आँवला, महुआ आदि

80-100 सेमी


➤ राज्य के दो अभयारण्य बाघ परियोजना में सम्मिलित हैं- रणथम्भौर और सरिस्का।

➤ रणथम्भौर राज्य का पहला राष्ट्रीय उद्यान है जिसे 1973-74 में 'बाघ परियोजना' (टाइगर प्रोजेक्ट) में शामिल किया गया है।

➤ रणथम्भौर को 'Land of Tiger' भी कहा जाता है।

➤ केवलादेव राष्ट्रीय उद्यान, भरतपुर को वर्ष 1985 में यूनेस्को द्वारा 'विश्व धरोहर' घोषित किया गया था।

➤ राज्य में सर्वाधिक वन्य जीव अभयारण्य अरावली पर्वतीय प्रदेश में हैं।

➤ राजस्थान का राजकीय पक्षी गोडावण/हुकना/सोहन चिड़िया महान् भारतीय सारंग है।

➤ राजस्थान का राज्य पशु चिंकारा भारतीय कुरंग है।

➤ सीतामाता अभयारण्य सागवान के वनों का एकमात्र अभयारण्य है।

➤ दो अभयारण्य राजस्थान में घड़ियाल के संरक्षण हेतु बनाये गए हैं-चम्बर घड़ियाल अभयारण्य, जवाहर सागर अभयारण्य।

➤ जोधपुर चिड़ियाघर गोडावण पक्षी के कृत्रिम प्रजनन केंद्र के रूप में विख्यात है।


उम्मीद है यह 'राजस्थान के वन और वन्य जीव' सामान्य ज्ञान लेख आपको पसंद आया होगा। इस आर्टिकल में आपको राजस्थान gk, राजस्थान GK इन हिंदी, Rajasthan General Knowledge in Hindi, Rajasthan Samanya Gyan, Rajasthan Forest and Wildlife GK, राजस्थान सामान्य ज्ञान हिंदी इत्यादि की जानकारी मिलेगी। यदि आपके पास कोई प्रश्न या सुझाव है तो नीचे कमेंट बॉक्स में पूछ सकते है।


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